जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
ग्वालियर पुलिस ने एक बार फिर अपने त्वरित और सटीक एक्शन से साबित कर दिया कि संगठित अपराध को रोकना उनके लिए सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक चुनौती भी है। 6 अगस्त की सुबह 32.63 लाख रुपए की बड़ी लूट ने पूरे शहर को हिला दिया था। लेकिन पुलिस ने महज 48 घंटे में इस केस का पर्दाफाश कर ‘ऑपरेशन स्विफ्ट-48’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
घटना कैसे हुई
घासमंडी घाटमपुर निवासी 52 वर्षीय आशाराम कुशवाह, शराब कारोबारी लक्ष्मण शिवहरे के यहां मुनीम के रूप में काम करते हैं। हर दिन की तरह, बुधवार सुबह वह 14 शराब दुकानों का कलेक्शन लेकर स्कूटी से यूनियन बैंक, शब्द प्रताप आश्रम ब्रांच जा रहे थे। रास्ते में तीन बदमाशों ने उन पर कट्टा तानकर बैग लूटा और फरार हो गए। बैग में 32.63 लाख रुपए की नकदी थी।
पहले आधे घंटे में मिला पहला सुराग
वारदात की सूचना मिलते ही एसएसपी धर्मवीर सिंह खुद मौके पर पहुंचे। महज 30 मिनट में पुलिस को पहला सीसीटीवी फुटेज हाथ लगा, जिसमें तीन बदमाश अलग-अलग वाहनों से आते और वारदात को अंजाम देते नजर आए। यह सुराग आगे की कार्रवाई की नींव बना।
‘स्विफ्ट-48’ नाम क्यों पड़ा
डीजीपी मंगुभाई पटेल ने मामले की गंभीरता देखते हुए ग्वालियर रेंज के आईजी, डीआईजी और एसएसपी को 48 घंटे में केस सुलझाने के निर्देश दिए। ‘स्विफ्ट’ यानी तेज और ‘48’ यानी समय सीमा – यही था इस ऑपरेशन का नाम, जो इस मिशन की प्राथमिकता और रफ्तार दोनों को दर्शाता है। एसएसपी सिंह ने 80 चुनिंदा पुलिसकर्मी, साइबर एक्सपर्ट और अफसरों को मिलाकर 20 विशेष टीमें बनाई। चार टीमें सिर्फ सीसीटीवी फुटेज खंगालने में लगाई गईं। 12 घंटों में 300 से ज्यादा कैमरों की रिकॉर्डिंग देखी गई, जिससे लुटेरों के रूट और ठिकानों की जानकारी मिली।
राज्यों में फैला सर्च नेटवर्क
जांच में पता चला कि लुटेरे वारदात के बाद ग्वालियर-मुरैना रोड होते हुए अलग-अलग स्थानों की ओर गए थे। पुलिस ने मुरैना, नूराबाद, केरुआ गांव और मध्यप्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के 14 शहरों में दबिश दी। लगातार ट्रैकिंग के बाद आरोपियों को 8 अगस्त की दोपहर मुरैना से गिरफ्तार किया गया।
मास्टरमाइंड का खुलासा
गिरफ्तार आरोपियों में विजय गुर्जर, दीपू उर्फ दीपक कुशवाह, शिवम कुशवाह और राहुल गुर्जर शामिल हैं। जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि शिवम कुशवाह, जो कुछ महीने पहले तक शराब दुकान पर मैनेजर था, इस लूट का मास्टरमाइंड था। नौकरी से निकाले जाने के बाद उसने नकदी के ट्रांसफर की दिनचर्या जानकर वारदात की साजिश रची और अपने रिश्तेदारों को इसमें शामिल कर लिया।
कैसे फंसे आरोपी
वारदात में इस्तेमाल की गई बाइक जलालपुर में मिली, वहीं से फुटेज ट्रेस कर पुलिस ने उनके बस से मुरैना तक जाने और फिर कार से केरुआ गांव पहुंचने का पता लगाया। गांव के लोगों ने पहचान की पुष्टि की, जिसके बाद गिरफ्तारी आसान हो गई।
रिकवरी और आगे की कार्रवाई
गिरफ्तार आरोपियों से 20 लाख रुपए और वारदात में उपयोग की गई कार जब्त की गई है। विजय और दीपू को 11 अगस्त तक रिमांड पर रखा गया है, जबकि शिवम और राहुल को जेल भेजा गया है। पुलिस अब फरार मुख्य आरोपी विकास गुर्जर और उसके साथियों अजय गुर्जर व ध्रुव गुर्जर की तलाश में है।
एसएसपी का बयान
एसएसपी धर्मवीर सिंह ने कहा,
“यह ऑपरेशन ग्वालियर पुलिस के समन्वय और तकनीकी दक्षता का नतीजा है। 80 अधिकारियों और जवानों ने मिलकर 300 से ज्यादा कैमरे खंगाले और लगातार दबिश दी। हमें भरोसा है कि शेष आरोपी भी जल्द गिरफ्तार होंगे।”