जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
ग्वालियर से एक ऐसी डिजिटल ठगी का खुलासा हुआ है, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। यह ठगी सिर्फ तकनीकी चालाकी का खेल नहीं थी, बल्कि इसमें उज्जैन के नागदा स्थित बंधन बैंक शाखा के अफसर और कर्मचारियों की प्रत्यक्ष मिलीभगत भी शामिल थी। पुलिस की जांच में सामने आया कि बैंक कर्मियों ने जरूरतमंद और भोले-भाले लोगों को सिर्फ 1,000 रुपये का लालच देकर उनके नाम से फर्जी अकाउंट खुलवाए, फिर उन खातों का उपयोग साइबर ठगों ने देशभर से ठगी के पैसे ट्रांसफर करने में किया। ये अकाउंट केवल नाम के लिए थे, असली नियंत्रण बैंक के अधिकारियों और ठगों के हाथों में था।
ग्वालियर पुलिस की स्पेशल टीम ने नागदा, उज्जैन और रतलाम से छापेमारी कर बंधन बैंक के असिस्टेंट मैनेजर, महिला कैशियर और चार अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि 2.53 करोड़ की ठगी का पैसा एक सब्जी विक्रेता के नाम पर खुले खाते में आया, जिसे इसकी भनक तक नहीं थी। ये खाता नागदा शाखा में राहुल कहार नाम के युवक के नाम से खोला गया था, जो रोज़ सब्जी का ठेला लगाता है और महीने में मुश्किल से 1,000 कमाता है। बैंक के अधिकारी ने उससे कहा कि उसे हर महीने किराये के रूप में पैसे मिलेंगे। पासबुक और एटीएम कार्ड बैंक के कर्मचारियों ने अपने पास रख लिए और अकाउंट को ठगी के ट्रांजैक्शन के लिए किराए पर दे दिया।
बैंक स्टेटमेंट खंगालने पर सामने आया कि सिर्फ राहुल के ही नहीं, बल्कि उसी शाखा में तीन और फर्जी खातों से करोड़ों का लेन-देन किया गया। एक ही खाते से तीन महीनों में लगभग 30 लाख रुपये का ट्रांजैक्शन किया गया। ये सभी लेनदेन नकद में निकाले गए और बैंक के रिकॉर्ड में इसके कोई मजबूत प्रमाण नहीं थे। पुलिस को अब तक इस गिरोह से जुड़े छह लोगों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है, जिनमें उज्जैन की महिला कैशियर काजल जायसवाल और रतलाम का विश्वजीत बर्मन भी शामिल है।
जांच में यह भी सामने आया कि इस फर्जीवाड़े में इस्तेमाल हुए खातों का उपयोग केवल ग्वालियर ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों से ट्रांजैक्शन करने के लिए किया गया था। ग्वालियर से जुड़ी 2.53 करोड़ की ठगी के अलावा, पिछले 5 महीनों में कुल ठगी की राशि 3.24 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। पुलिस को शक है कि इस गिरोह के तार देशव्यापी साइबर ठग नेटवर्क से जुड़े हैं और यह केवल शुरुआत है।
सबसे चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि इस ठगी में ग्वालियर की प्रतिष्ठित संस्था रामकृष्ण मिशन आश्रम को टारगेट किया गया। आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदीप्तानंद को स्काइप कॉल के ज़रिए 26 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया और फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी। उन्हें हर घंटे अपनी सेल्फी और लोकेशन भेजने को कहा गया और डर के मारे उन्होंने 2.53 करोड़ रुपये तीन अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए। इस पैसे का बड़ा हिस्सा दुबई के खातों में भेजा गया, जहां से शक है कि इसे क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया गया। इससे पहले नवंबर 2024 में भी इसी मिशन की उज्जैन शाखा से 71 लाख की साइबर ठगी हो चुकी थी।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि प्रयागराज की एक फर्जी शेल कंपनी के करंट अकाउंट में एक बार में 1.30 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे। इस कंपनी के असली मालिक को अपने नाम से खाता खुलने तक की जानकारी नहीं थी। पुलिस अब इस अकाउंट के माध्यम से पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है।
ग्वालियर पुलिस ने अब तक 10 राज्यों के 50 से ज्यादा बैंक खातों की पहचान की है, जिनमें ठगी का पैसा घुमाया गया। इन राज्यों में मणिपुर, केरल, उत्तराखंड, असम, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इस केस की जांच में अब साइबर एक्सपर्ट्स और क्राइम ब्रांच की टीमें भी जुड़ चुकी हैं और यह ठगी भारत की सबसे संगठित डिजिटल ठगी योजनाओं में से एक बनती जा रही है।