जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
गुजरात हाईकोर्ट में बुधवार को लगातार दूसरे दिन वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया। इसका कारण है हाईकोर्ट के जज संदीप एन. भट्ट का प्रस्तावित तबादला। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में 14 जजों के तबादले की सिफारिश की है, जिनमें गुजरात हाईकोर्ट के दो नाम शामिल हैं। इस प्रस्ताव का वकीलों ने कड़ा विरोध किया है और अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है।
छह सदस्यीय समिति का गठन
गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन (GHCAA) ने इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाते हुए छह सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति का नेतृत्व वरिष्ठ अधिवक्ता बृजेश त्रिवेदी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जस्टिस संदीप भट्ट को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव न केवल अनुचित है, बल्कि इससे न्यायिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े होते हैं। इसीलिए बार ने सामूहिक रूप से न्यायिक कार्य न करने का निर्णय लिया है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक में देशभर के विभिन्न हाईकोर्ट्स से 14 जजों के तबादले का प्रस्ताव रखा गया था। इसमें गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप एन. भट्ट और जस्टिस रॉय का नाम भी शामिल है। जस्टिस भट्ट को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और जस्टिस रॉय को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई है। वकीलों का कहना है कि यह आदेश बिना किसी स्पष्ट कारण के दिया गया है और इससे बार और बेंच के रिश्तों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विराट पोपट ने स्पष्ट किया कि बार जस्टिस भट्ट के स्थानांतरण आदेश से असंतुष्ट है। इसी कारण आम सभा में सर्वसम्मति से कामकाज बंद करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि जज के ट्रांसफर पर बार अपनी नाराजगी दर्ज कराने के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।
सुप्रीम कोर्ट से बातचीत की तैयारी
वकीलों के आंदोलन के बाद, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने गुजरात हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल से मिलने का समय दिया है। शुक्रवार को इस विषय पर विस्तृत चर्चा होने की संभावना है। उम्मीद जताई जा रही है कि वकील अपनी आपत्तियां सीधे कॉलेजियम के सामने रखेंगे और समाधान की कोशिश होगी।
न्यायपालिका और बार के रिश्तों पर असर
यह पहला अवसर नहीं है जब वकील किसी जज के तबादले का विरोध कर रहे हैं। लेकिन गुजरात हाईकोर्ट की मौजूदा स्थिति ने यह साफ कर दिया है कि बार और बेंच के बीच भरोसे और संवाद की जरूरत और भी बढ़ गई है। वकीलों का कहना है कि यदि सम्मानित और निष्पक्ष माने जाने वाले जजों का बिना वजह ट्रांसफर किया जाएगा, तो इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।
कुल मिलाकर, गुजरात हाईकोर्ट के वकीलों का यह विरोध आने वाले दिनों में बड़ा रूप ले सकता है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली चर्चा से ही आगे की दिशा तय होगी कि जस्टिस संदीप भट्ट का ट्रांसफर आदेश बरकरार रहता है या उस पर पुनर्विचार किया जाता है।