जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भोपाल हाट में शुक्रवार को हस्तशिल्प और लोक कला को समर्पित “क्राफ्टरूट्स” प्रदर्शनी का भव्य शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया “वोकल फॉर लोकल” का विचार न केवल आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को मजबूती देता है, बल्कि यह पारंपरिक शिल्प कला, लोक कला और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का भी सशक्त माध्यम है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह से वोकल फॉर लोकल के विचार को जमीन पर उतारने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस विचार के जरिए न सिर्फ स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है, बल्कि इससे कारीगरों को भी आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने “क्राफ्टरूट्स” प्रदर्शनी को इस दिशा में एक मील का पत्थर बताते हुए कहा कि इस तरह की पहलें हस्तशिल्प कलाकारों को नई पहचान, नया मंच और नए बाजार उपलब्ध कराने में अत्यंत प्रभावशाली हैं।
मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राजा भोज ने भोपाल और पूरे अंचल को ऐतिहासिक पहचान दिलाई है, वहीं प्रदेश देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती मना रहा है। देवी अहिल्याबाई ने महिला सशक्तिकरण और स्वावलंबन की मिसाल पेश की थी। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि भोपाल में होने वाले महिला सशक्तिकरण सम्मेलन में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। उन्होंने “क्राफ्टरूट्स” प्रदर्शनी को इस सम्मेलन की एक प्रतीकात्मक शुरुआत बताया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकार औद्योगिक गतिविधियों, विशेषकर कुटीर और रोजगार परक उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए गंभीरता से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प से निर्मित उत्पाद प्लास्टिक का कारगर विकल्प साबित हो सकते हैं और पर्यावरण की रक्षा में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने सरकारी व निजी दोनों स्तरों पर हस्तशिल्प को बढ़ावा देने की आवश्यकता जताई।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने भाषण में हस्तशिल्प को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि देश में एक “क्राफ्ट यूनिवर्सिटी” की स्थापना की जानी चाहिए, जिससे हस्तशिल्प से जुड़े लोगों को औपचारिक शिक्षा, प्रशिक्षण और संसाधनों की बेहतर सुविधा मिल सके। उन्होंने राज्यों के बीच कारीगरों की यात्रा में सहयोग, कार्यस्थलों के आसपास कच्चे माल की उपलब्धता और सरकारी कर्मचारियों की संवेदनशीलता को भी जरूरी बताया। उन्होंने महेश्वर के “धागा बैंक” की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के नवाचारों से कारीगरों को काफी राहत मिलती है।
इस अवसर पर “क्राफ्टरूट्स” संस्था की संस्थापक अनार पटेल ने बताया कि हस्तशिल्प कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। वर्ष 1995 में शुरू हुई संस्था अब तक 70 हजार से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण दे चुकी है। संस्था कारीगरों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद तैयार करने, डिज़ाइन डेवेलपमेंट, मार्केटिंग और कच्चे माल की उपलब्धता जैसे क्षेत्रों में लगातार सहयोग कर रही है।
इस अवसर पर प्रदेश के कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्य मंत्री दिलीप जायसवाल सहित कई गणमान्य नागरिक, शिल्पकार और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। “क्राफ्टरूट्स” प्रदर्शनी में मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों से आए हस्तशिल्प उत्पादों की झलक देखने को मिली, जो पारंपरिक कला को आधुनिकता से जोड़ते हुए राज्य की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर रहे हैं।