जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहा एक हाई-प्रोफाइल ठगी का मामला अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। कोर्ट ने आरोपी अजय कुमार नय्यर की जमानत याचिका को सख्त शब्दों में खारिज कर दिया है। मामला न सिर्फ कानूनी दृष्टिकोण से गंभीर है, बल्कि इससे यह भी सवाल उठते हैं कि किस तरह समाज में ऊँचे रसूख के नाम पर मासूम कारोबारियों को बड़े पैमाने पर ठगा जा रहा है।
अजय नय्यर पर आरोप है कि उसने खुद को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का ‘भतीजा’ बताकर एक नामी कारोबारी से राष्ट्रपति भवन के नवीनीकरण का टेंडर दिलवाने का झांसा दिया, और इस झूठी कहानी के बदले में 3.9 करोड़ रुपए की मोटी रकम हड़प ली। यह पैसा नकद और RTGS ट्रांजैक्शन के माध्यम से आरोपी को दिया गया। आरोपी नवंबर 2021 से न्यायिक हिरासत में है और अब तक 39 महीने जेल में बिता चुका है।
जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एडिशनल सेशन जज डॉ. हरदीप कौर ने स्पष्ट कहा कि इस अपराध की प्रकृति अत्यंत गंभीर है। कोर्ट के अनुसार, “सिर्फ जेल में लंबे समय तक रहना और चार्जशीट का दाखिल हो जाना किसी आरोपी को जमानत का हकदार नहीं बनाता।” अदालत ने आरोपी की भूमिका को ‘मुख्य साजिशकर्ता’ की संज्ञा दी और कहा कि उसका किरदार अन्य सह-आरोपियों से कहीं अधिक प्रभावशाली और गंभीर है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी की जमानत से न केवल गवाहों को प्रभावित करने का खतरा बढ़ सकता है, बल्कि इससे न्यायिक प्रक्रिया में भी बाधा आ सकती है। जज ने यह साफ कर दिया कि कानून केवल समय बिताने या समान सह-अभियुक्तों की रिहाई के आधार पर जमानत नहीं देता, बल्कि यह भी देखा जाता है कि अपराध कितना संगीन है और क्या आरोपी समाज के लिए खतरा बन सकता है।
बता दें, इस केस की शुरुआत शिकायतकर्ता गुरसिमरदीप सिंह की शिकायत से हुई थी, जो ‘जलंधर लेदर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के मालिक हैं। जून 2020 में उनकी मुलाकात पारिवारिक मित्र अमित तलवार के जरिए अजय नय्यर से हुई थी, जो कि जालंधर जिमखाना क्लब में हुई एक मीटिंग के दौरान खुद को अमित शाह का नजदीकी रिश्तेदार बता रहा था। इस मुलाकात के बाद आरोपी ने 90 करोड़ रुपये के फर्जी टेंडर का लालच देकर कारोबारी को झांसे में लिया और करोड़ों की रकम ठग ली।
मामला सामने आने के बाद पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया और जांच में पाया कि यह एक सुनियोजित ठगी थी, जिसमें बड़ा रसूख और नकली राजनीतिक कनेक्शन दिखाकर कारोबारी को फंसाया गया। आरोपी का मोबाइल, ईमेल और बैंक ट्रांजैक्शनों की जांच से पता चला कि उसने कई बार झूठे दस्तावेज़ दिखाकर टेंडर की प्रक्रिया को ‘विश्वसनीय’ साबित करने की कोशिश की थी।