जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के स्पष्ट निर्देशों के बाद मध्यप्रदेश पुलिस भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता करने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का सिलसिला तेज़ हो गया है। इसी कड़ी में आज पुलिस मुख्यालय, भोपाल के पुराने कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित प्रेस वार्ता में पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) श्री अंशुमान सिंह ने इस पूरे फर्जीवाड़े की विस्तृत जानकारी साझा की।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा पुलिस आरक्षक (जीडी और रेडियो) के रिक्त पदों को भरने हेतु ऑनलाइन लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें 6,52,057 उम्मीदवारों ने भाग लिया। द्वितीय चरण में सफल 55,220 अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षा का आयोजन 16 अक्टूबर से 20 नवम्बर 2024 के बीच किया गया। इस पूरी चयन प्रक्रिया के उपरांत कुल 6423 उम्मीदवारों (5090 पुरुष व 1333 महिलाएं) का अंतिम चयन हुआ।
लेकिन नवंबर 2024 में मुरैना परीक्षा केंद्र पर हुई शारीरिक दक्षता परीक्षा के दौरान 5 अभ्यर्थियों द्वारा अपनी जगह किसी अन्य व्यक्ति को भेजकर परीक्षा दिलवाने का प्रयास सामने आया। उन्हें मौके पर ही संदिग्ध मानते हुए परीक्षा से बाहर कर दिया गया और तत्काल प्रकरण दर्ज कर विधिसम्मत कार्रवाई की गई।
इस घटना को गंभीरता से लेते हुए, पुलिस मुख्यालय भोपाल ने चयनित सभी अभ्यर्थियों के चरित्र सत्यापन और बायोमेट्रिक एवं आधार हिस्ट्री की दोबारा जांच के आदेश 21 अप्रैल 2025 को जारी किए। जब यह जांच शुरू हुई, तो कई जिलों से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
जांच में पाया गया कि कुछ अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा से पहले और बाद में दो बार आधार बायोमेट्रिक डाटा में संशोधन कराया था। इस संदेह के आधार पर उनकी हस्तलिपि, हस्ताक्षर, फिंगरप्रिंट आदि का मिलान परीक्षा के समय दर्ज बायोमेट्रिक से किया गया। इसके अलावा, तकनीकी रूप से उनकी वास्तविक लोकेशन की भी जांच की गई।
इन सबके आधार पर अभी तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में कुल 21 प्रकरण दर्ज कर 22 फर्जी अभ्यर्थियों के खिलाफ केस दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें से मुरैना में 07, शिवपुरी में 06, श्योपुर में 02 तथा इंदौर, दतिया, ग्वालियर, अलीराजपुर, राजगढ़ और शहडोल में 01-01 केस पंजीबद्ध हुए हैं।
जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ आधार केंद्रों (Aadhar Vendors) द्वारा आर्थिक लाभ के उद्देश्य से अभ्यर्थियों के बायोमेट्रिक संशोधन को बिना पूर्ण जांच के अपने सिस्टम में अपलोड कर दिया गया, जिससे फर्जीवाड़े को अंजाम देना संभव हो पाया।
पुलिस महानिदेशक, मध्यप्रदेश के नेतृत्व में चयन शाखा और अन्य इकाइयाँ इन मामलों पर लगातार निगरानी बनाए हुए हैं और फील्ड इकाइयों को उचित मार्गदर्शन भी दे रही हैं।
गौरतलब है की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट शब्दों में निर्देशित किया है कि इस मामले में शामिल किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। जिसके बाद भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है।