जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र बुधवार को भी गर्मागर्म बहसों और तीखे आरोप-प्रत्यारोपों के बीच बीता। सत्र के दौरान मोटर यान कराधान संशोधन विधेयक 2025 समेत कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा हुई और इन्हें पारित भी किया गया।
विपक्ष ने मोटर वाहन कर व्यवस्था को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने आरोप लगाया कि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर संभागों में वाहनों पर लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये का टैक्स बकाया है, जिसे सरकार वसूल नहीं कर पा रही है। भंवर सिंह शेखावत ने आरटीओ कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि दफ्तर एजेंटों के भरोसे चल रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।
सरकार की ओर से परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने जवाब देते हुए बताया कि पहले जहां 4% पेनल्टी लगती थी, अब नई व्यवस्था में पुराने बकाया पर चार गुना तक जुर्माना वसूला जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि ओवरलोडिंग और क्षमता से अधिक सवारी ढोने वाले वाहनों पर कड़ी कार्रवाई होगी — जैसे प्रति सीट 1000 रुपये की पेनल्टी या प्रति टन अधिक भार पर भी दंड। मंत्री ने यह भी कहा कि अब फेसलेस सेवा और घर पहुंच ड्राइविंग लाइसेंस सुविधा शुरू की जा रही है ताकि आम जनता को एजेंटों के चंगुल से बचाया जा सके।
विपक्ष की ओर से मुरैना विधायक दिनेश गुर्जर और सौंसर विधायक विजय चौरे ने भी परिवहन व्यवस्था, चेक पोस्ट समाप्त होने से बढ़े भ्रष्टाचार और वाहनों की निगरानी पर सवाल खड़े किए। चौरे ने आरोप लगाया कि भारी वाहनों की अंधाधुंध आवाजाही और मध्यप्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में अधिक टैक्स दरें, राज्य के राजस्व को नुकसान पहुंचा रही हैं।
वहीं कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने मुख्यमंत्री राहत कोष के फर्जीवाड़े का मामला सदन में उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि गुना में एक फर्जी अस्पताल को इस कोष से आर्थिक मदद मिली, लेकिन अब तक संबंधित लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
खनन घोटाले के मसले पर भी बहस तेज रही। भाजपा विधायक संजय पाठक से जुड़ी तीन कंपनियों द्वारा अनुमोदन से अधिक खनन किए जाने का मामला उठा, जिसमें 443 करोड़ से अधिक की वसूली की बात सामने आई। इस पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल खड़े किए कि क्या सरकार वास्तव में इस पर ठोस कार्रवाई करेगी।
इसके अलावा, जन विश्वास उपबंधों का संशोधन विधेयक भी चर्चा का केंद्र रहा। कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि यह विधेयक न्यायालय के अधिकारों में कटौती करता है और इतने महत्वपूर्ण कानून में संशोधन को बिना व्यापक बहस के पारित किया जा रहा है।
सत्र के दौरान विपक्षी विधायकों ने पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती में गड़बड़ियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। कांग्रेस विधायक रजनीश सिंह और अन्य ने पुलिस वर्दी पहनकर सदन में विरोध जताया और निष्पक्ष जांच की मांग की। इस पर भाजपा विधायक रीति पाठक ने कहा कि विपक्ष केवल नारेबाज़ी में व्यस्त है और जनता के मुद्दों पर कोई गंभीर चर्चा नहीं करना चाहता।
शिप्रा नदी में प्रदूषण का मुद्दा भी सदन में गूंजा। विधायक गायत्री राजे पवार ने नागधमन नदी से आ रहे रासायनिक प्रदूषण को सिंहस्थ से पहले रोकने की मांग की। सरकार की ओर से जवाब में बताया गया कि निगरानी के लिए कैमरे लगाए जा रहे हैं और बड़ी ईटीपी प्लांट की आवश्यकता पर विचार हो रहा है।
शिक्षा, भूमि घोटाले, किसानों से जुड़ी योजनाएं और स्कूल भवनों की जर्जर स्थिति जैसे कई लोकहित के मुद्दों पर भी सदन में चर्चा हुई। इन सभी मुद्दों पर सरकार ने आश्वासन दिया कि आवश्यक कार्रवाई की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई तय है।
विधानसभा सत्र का यह दिन कई ज्वलंत सवालों और गंभीर बहसों से भरा रहा, जिसमें सत्ता और विपक्ष दोनों ने अपनी-अपनी भूमिका को मजबूती से रखा।