जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भोपाल में शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई एक बार फिर कटघरे में खड़ी है। राजधानी के गांधीनगर स्थित शासकीय महात्मा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से सामने आए एक वीडियो ने न सिर्फ शिक्षक-छात्र संबंधों की गरिमा पर सवाल उठाए हैं, बल्कि सरकारी स्कूलों की बदहाल सुविधाओं की हकीकत को भी उजागर किया है।
वीडियो में कक्षा 4 की एक महिला शिक्षक कुर्सी पर बैठी हुई हैं और उसी कक्षा का एक छात्र उनके पैर दबा रहा है। यह घटना गुरुवार को हुई थी, लेकिन इसका वीडियो शनिवार शाम सामने आया। स्कूल के अन्य शिक्षकों का कहना है कि इस तरह के दृश्य यहां पहले भी देखे गए हैं।
महिला शिक्षक ने सफाई देते हुए बताया कि कक्षा में प्रवेश के दौरान गेट पर टूटी हुई टाइल्स से बने गड्ढे में उनका पैर मुड़ गया था। बच्चों ने उन्हें सहारा देकर कुर्सी पर बैठाया, जिसके बाद एक छात्र ने अपने ‘प्रेमभाव’ से उनका पैर दबाकर दर्द कम करने की कोशिश की। हालांकि, इस सफाई के बावजूद सोशल मीडिया पर घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
बुनियादी सुविधाओं का गंभीर अभाव
वीडियो से परे, इस स्कूल की स्थिति अपने आप में चिंता का विषय है। आधा भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है, जबकि बाकी हिस्से में बरसात के दौरान पानी टपकना आम बात है। पंखे खराब पड़े हैं और कक्षाओं में बेंच की कमी के कारण बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। शौचालयों की हालत इतनी खराब है कि उनका इस्तेमाल संभव नहीं, और पानी की उपलब्धता भी नहीं है।
स्कूल परिसर के गेट जाम हैं, चारों ओर ऊंची घास उगी हुई है, और सांप जैसे खतरनाक जीवों का खतरा हमेशा बना रहता है। इन परिस्थितियों में बच्चियां खुले में शौच के लिए मजबूर हैं, जो न सिर्फ उनकी सुरक्षा बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है।
व्यवस्था पर उठते सवाल
भोपाल के कई सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस और डिजिटल शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, लेकिन इस घटना ने जमीनी हकीकत को सामने ला दिया है। जबकि कुछ स्कूलों में आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, वहीं कई संस्थान ऐसे हैं, जहां शिक्षा का माहौल और बुनियादी ढांचा दोनों ही बुरी तरह प्रभावित हैं।