सिंहस्थ आयोजन में किसान सहयोग के लिए तैयार बशर्ते खेतों में स्थाई निर्माण व कांक्रीट के जंगल न बने

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सिंहस्थ आयोजन में किसान सहयोग के लिए तैयार बशर्ते खेतों में स्थाई निर्माण व कांक्रीट के जंगल न बने

उज्जैन सिंहस्थ के आयोजन की तैयारी के लिए जमीन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार लैंड पुलिंग एक्ट लेकर आई है और विधानसभा में जिस जल्दबाजी में संशोधन विधेयक लाकर सरकार ने पास कराया है। उस समय से ही सरकार की मंशा पर प्रश्नचिह्न लगने लगे थे। देश में किसानों के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रभावित किसानों से चर्चा कर सुझाव भेजे थे। भोपाल में भारतीय किसान संघ के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रदेश बैठक में शामिल होने पहुंचे अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने मीडिया से चर्चा में बताया कि सैकड़ों वर्षों से उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन हो रहा है, किसान अपनी सहभागिता देकर आयोजन में जमीन देता आया है। बदले में सरकार किसान को उसकी जमीन का किराया देती थी। लेकिन वर्तमान में सरकार लैंड पुलिंग एक्ट के तहत किसान की जमीन छीनना चाहती है और उस पर स्थाई निर्माण करना चाहती है। जिसके लिए प्रदेश व उज्जैन का किसान तैयार नहीं है। श्री मिश्र ने कहा कि प्रदेश सरकार सिंहस्थ व लैंड पुलिंग के नाम पर किसान की जमीन छीनकर उनका विस्थापन करना चाहती है। लैंड पुलिंग एक्ट पर किसान से कोई चर्चा न करना, गाइडलाइन न बताना सरकार की सोच पर शंका को जन्म देती है। जो कि प्रदेश के किसानों व किसान संघ को स्वीकार नहीं है। इस विषय को लेकर हमारी गांव गांव जाने की तैयारी चल रही है।

किसानों के खेतों में स्थाई निर्माण क्यों

महामंत्री श्री मिश्र ने कहा कि सरकार व उसके अधिकारी किसान के खेतों में कांक्रीट डालने व स्थाई निर्माण करने क्यों अड़े हैं। किसान संघ का कहना है कि साधु संत तो पैरों में चप्पल तक नहीं पहनते हैं, गर्मी में सिंहस्थ होता है ऐसे में कांक्रीट खेतों में बिछाना कहां तक उपयुक्त हैं। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह सही नहीं है अन्य विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए जो कि संत समाज, किसान व पर्यावरण हितैषी होगा।

अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर प्रश्न

किसान संघ से वार्ता में अधिकारियों ने कहा कि किसान की जमीन अधिग्रहित किए बिना सिंहस्थ कुंभ नहीं हो सकता है। इसके जबाब में किसान संघ ने कहा कि वर्तमान अधिकारी कुंभ आयोजन में समर्थ नहीं हैं तो पूर्व में कुंभ मेला आयोजन को करने वाले अधिकारीयों की सलाह लेकर सरकार को उनको जिम्मेदारी देनी चाहिए। प्रयाग राज कुंभ की व्यवस्था का अध्ययन करना चाहिए। किसान संघ भी सरकार को कुंभ आयोजन में सुझाव व सलाह दे सकता है यदि सरकार चाहे तो।

यूरिया डीएपी की कमी सरकार व प्रशासन की विफलता

महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि प्रदेश में किसान यूरिया डीएपी के लिए परेशान है। सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों को देखने की फुर्सत नहीं है। कालाबाजारी चरम पर है किसान के साथ लूट होना दुर्भाग्यजनक है। किसान संघ ही है जो किसान के विषयों पर आंदोलन कर रहा है।

ये रहे उपस्थित

भारतीय किसान संघ की प्रदेश बैठक में केंद्रीय पदाधिकारियों में अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र, सह संगठन मंत्री गजेन्द्र सिंह, भारतीय एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष व भूमि अधिग्रहण आयाम के प्रमुख प्रमोद चौधरी, क्षेत्र संगठन मंत्री महेश चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना, प्रदेश महामंत्री चंद्रकांत गौर, मालवा प्रांत अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण पटेल, महामंत्री रमेश दांगी, प्रांत संगठन मंत्री अतुल माहेश्वरी, मध्यभारत प्रांत अध्यक्ष सर्वज्ञ दीवान, महामंत्री शिवनंदन रघुवंशी, प्रांत संगठन मंत्री भरत सिंह पटेल, महाकौशल प्रांत महामंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, प्रांत संगठन मंत्री तुलाराम जी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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