जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
गाजियाबाद से एक बेहद चौंकाने वाला और अविश्वसनीय मामला सामने आया है, जिसने देश की सुरक्षा और राजनयिक प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। STF (विशेष कार्य बल) ने मंगलवार को एक किराए के मकान में चल रहे फर्जी दूतावास का भंडाफोड़ किया। आरोपी हर्षवर्धन जैन खुद को कई फर्जी देशों का ‘कॉन्सुल एंबेसडर’ बताकर VIP जीवनशैली जी रहा था और करोड़ों की हेराफेरी में लिप्त था।
‘वेस्ट आर्कटिक दूतावास’ की आड़ में चल रहा था बड़ा खेल
STF की छापेमारी गाजियाबाद के कविनगर इलाके में हुई, जहां KB-35 नंबर के मकान में हर्षवर्धन ‘वेस्ट आर्कटिक दूतावास’ के नाम से एक फर्जी दफ्तर चला रहा था। इस दफ्तर की आड़ में वह खुद को वेस्ट आर्कटिक, पुलावाविया, सबोरगा और लोडोनिया जैसे काल्पनिक देशों का राजदूत बताता था — जबकि असलियत में इन नामों के कोई देश ही नहीं हैं।
आरोपी के कब्जे से STF ने 44.70 लाख रुपए नकद, VIP नंबरों वाली चार महंगी गाड़ियाँ, 34 अलग-अलग देशों और कंपनियों की मुहरें, विदेश मंत्रालय की सील लगे फर्जी दस्तावेज, 18 डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट, दो फर्जी प्रेस कार्ड, दो नकली पैन कार्ड, माइक्रोनेशन के 12 डिप्लोमैटिक पासपोर्ट और विदेशी मुद्राएं जब्त की हैं।
फर्जी पहचान, हाई-प्रोफाइल कनेक्शन और हवाला रैकेट का जाल
STF एसएसपी सुशील घुले के अनुसार, हर्षवर्धन लोगों को बहकाने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य बड़े नेताओं के साथ फोटोशॉप की गई तस्वीरों का इस्तेमाल करता था। वह खुद को हाई-प्रोफाइल डिप्लोमैटिक एंबेसडर साबित करता और इस फर्जी प्रतिष्ठा के बल पर निजी कंपनियों और व्यक्तियों को विदेशी काम दिलाने के नाम पर दलाली करता था।
इसका नेटवर्क सिर्फ इतना ही नहीं था — वह शेल कंपनियों के माध्यम से हवाला के जरिए पैसे के अवैध लेन-देन में भी संलिप्त था। जानकारी के मुताबिक, वह पहले भी चंद्रास्वामी और इंटरनेशनल आर्म्स डीलर अदनान खगोशी जैसे संदिग्ध लोगों के संपर्क में रह चुका है। 2011 में भी उसके पास से एक सैटेलाइट फोन जब्त किया गया था, जिसकी FIR गाजियाबाद के कविनगर थाने में पहले से दर्ज है।
क्या होता है असली दूतावास? और क्यों ये मामला खतरनाक है
दूतावास किसी भी देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण कूटनीतिक केंद्र होता है, जो दूसरे देशों में स्थापित किए जाते हैं। यहां राजदूत और उनका स्टाफ अपने देश के नागरिकों की सहायता, वीजा- पासपोर्ट सेवाएं, राजनीतिक संवाद, आर्थिक समझौते और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे कार्य करते हैं।
ऐसे में, एक आम नागरिक द्वारा फर्जी दूतावास बनाना, डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट का दुरुपयोग करना और विदेशी मुद्रा, पासपोर्ट तथा दस्तावेजों का फर्जीवाड़ा करना, न सिर्फ एक गंभीर अपराध है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी अत्यंत संवेदनशील मसला है।
पुलिस की अगली चुनौती: हवाला नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय लिंक की जांच
फिलहाल STF ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और उसके नेटवर्क की जाँच शुरू हो चुकी है। पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इस फर्जीवाड़े में और कौन-कौन लोग शामिल थे, क्या किसी सरकारी तंत्र की मिलीभगत थी, और हवाला के जरिए किन देशों में पैसा भेजा जा रहा था।