जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश की व्यापारिक राजधानी इंदौर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ पुलिस महकमे बल्कि आम जनता को भी हिला कर रख दिया है। एक साधारण-से होटल के कमरे में पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं ने मिलकर नकली नोटों की फैक्ट्री खड़ी कर दी थी, और इसका खुलासा तब हुआ जब होटल स्टाफ को उन पर शक हुआ। मास्टर चाबी से दरवाजा खोला गया, और जो नजारा सामने आया वह किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था—कमरे में बिखरे पड़े थे प्रिंटर, लेमिनेटर, सॉफ्टवेयर से लैस लैपटॉप, बटर पेपर, सील और लाखों के नकली नोट।
पूरे मामले की शुरुआत छिंदवाड़ा के रहने वाले अब्दुल शोएब उर्फ छोटू से होती है, जो आर्ट एंड डिजाइनिंग में ग्रेजुएट है लेकिन लंबे समय से बेरोजगार था। परिवार पर कर्ज का बोझ था और जल्दी अमीर बनने की चाह में उसने सोशल मीडिया पर फर्जी करेंसी से जुड़े ग्रुप्स खंगालना शुरू कर दिया। यहीं उसकी पहचान गुजरात के द्वारका निवासी मयूर चम्पा से हुई, जिसने बॉलीवुड की मशहूर वेब सीरीज़ ‘फर्जी’ देखकर नकली नोट छापने का आइडिया विकसित किया था। मयूर ने शोएब को एक विशेष सॉफ्टवेयर मुहैया कराया, जो हूबहू असली नोट की तरह नकली नोट तैयार कर सकता था—वाटरमार्क, रंग, साइज और यहां तक कि सीरियल नंबर भी शामिल थे।
धीरे-धीरे इस गैरकानूनी नेटवर्क में अन्य बेरोजगार युवा भी जुड़ते गए—भोपाल के आकाश घारु, मेडिकल स्टोर संचालक शंकर चौरसिया, रहीश खान और प्रफुल्ल कोरी जैसे नाम इसमें शामिल हुए। शोएब ने इंदौर को अपने नेटवर्क का बेस बनाया क्योंकि वह यहां की गलियों, होटलों और कामकाज के तरीके से परिचित था। उसने होटल ‘इंटरनिटी’ के कमरे नंबर 301 को एक चलती-फिरती नोट छापने की फैक्ट्री में तब्दील कर दिया। सभी आरोपी सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक के ज़रिए एक-दूसरे से जुड़े थे और अपने-अपने शहरों से सॉफ्टवेयर, मशीनरी और अन्य उपकरण जुटा रहे थे।
13 अप्रैल को होटल स्टाफ को गतिविधियां संदिग्ध लगीं। एक कर्मचारी ने जब कमरे की खामोशी और अजीब हरकतें नोटिस कीं, तो मौके पर मास्टर चाबी से दरवाजा खोलकर अंदर का वीडियो बनाकर क्राइम ब्रांच को भेजा। तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस टीम ने दबिश दी और अब्दुल शोएब, रहीश खान और प्रफुल्ल कोरी को गिरफ्तार कर लिया। तलाशी में 500-500 रुपये के 100 नकली नोट, प्रिंटर, लेमिनेशन मशीन, सील, बटर पेपर, लैपटॉप और मोबाइल बरामद किए गए।
पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि वे जल्दी अमीर बनने के लिए इस रैकेट में शामिल हुए थे। उनका प्लान था कि इंदौर में छपाई का काम हो और भोपाल के साथी बाजार में नोट खपाएं। इसी क्रम में भोपाल से आकाश घारु और शंकर चौरसिया को भी गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से 3.85 लाख के नकली नोट जब्त हुए। इस रैकेट का मास्टरमाइंड मयूर चम्पा को द्वारका (गुजरात) से पकड़ा गया। मयूर ही वह व्यक्ति था जिसने नकली नोट तैयार करने वाला विशेष सॉफ्टवेयर बनवाया था, जो अब जांच का विषय है।
क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश त्रिपाठी के अनुसार, अगर समय पर कार्रवाई नहीं होती, तो यह गैंग बड़े पैमाने पर नकली नोट बाजार में उतार देती। पुलिस को अब तक कुल 4.35 लाख के नकली नोट, हाई क्वालिटी प्रिंटर, कटिंग मशीन, लैपटॉप, लेमिनेशन रोल्स, सीलें, बटर पेपर और अन्य उपकरण बरामद हुए हैं।