जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय सोमवार को उस समय समाप्त हो गया जब विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। कोहली ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट शेयर कर इसकी जानकारी दी।
कोहली ने अपनी पोस्ट में लिखा, “टेस्ट क्रिकेट में पहली बार बैगी ब्लू जर्सी पहने हुए 14 साल हो चुके हैं। ईमानदारी से कहूं तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह फॉर्मेट मुझे किस सफर पर ले जाएगा। इसने मेरी परीक्षा ली, मुझे आकार दिया और मुझे ऐसे सबक सिखाए जिन्हें मैं जीवन भर अपने साथ रखूंगा। सफ़ेद कपड़ों में खेलना बहुत ही निजी अनुभव होता है। शांत परिश्रम, लंबे दिन, छोटे-छोटे पल जिन्हें कोई नहीं देखता लेकिन जो हमेशा आपके साथ रहते हैं। जैसे-जैसे मैं इस प्रारूप से दूर होता जा रहा हूँ, यह आसान नहीं है – लेकिन यह सही लगता है। मैंने इसमें अपना सबकुछ दिया है, और इसने मुझे मेरी उम्मीद से कहीं ज़्यादा दिया है।”
कोहली ने आगे लिखा, “मैं दिल से आभार के साथ विदा ले रहा हूँ – खेल के लिए, मैदान पर मेरे साथ खेलने वाले लोगों के लिए, और हर उस व्यक्ति के लिए जिसने मुझे इस दौरान महसूस कराया कि मैं उनके साथ हूँ। मैं हमेशा अपने टेस्ट करियर को मुस्कुराते हुए देखूँगा। #269, विदा लेता हूँ।”
बता दें, विराट कोहली ने 14 साल पहले टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था और अब 123 टेस्ट मैच, 30 शतक, 31 अर्धशतक और 7 दोहरे शतकों के साथ वह इस क्लासिक फॉर्मेट को अलविदा कह चुके हैं। कोहली को 2017 और 2018 में ICC द्वारा टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर भी चुना गया था।
उनकी कप्तानी में भारत ने टेस्ट क्रिकेट में ऐतिहासिक सफलता हासिल की। उन्होंने 2015 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज से कप्तानी की शुरुआत की थी, और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। विराट ने भारत में सभी 11 टेस्ट सीरीज जीतीं, जो न तो धोनी कर पाए और न ही रोहित। उनकी कप्तानी में भारत ने टेस्ट क्रिकेट में आक्रामकता, फिटनेस और विदेशी पिचों पर लड़ने की क्षमता विकसित की।
सिर्फ कप्तानी ही नहीं, विराट ने बतौर बल्लेबाज़ भी अपनी छाप छोड़ी। कप्तानी करते हुए उन्होंने रिकॉर्ड 7 दोहरे शतक लगाए, और इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका जैसी कठिन परिस्थितियों में भी शानदार पारियां खेलीं। 2014 में इंग्लैंड में फ्लॉप होने के बाद उन्होंने 2018 में वापसी कर सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाए। यही नहीं, ऑस्ट्रेलिया में लगातार रन बनाकर उन्होंने दिखाया कि वे आधुनिक क्रिकेट के सबसे महान बल्लेबाज़ों में क्यों गिने जाते हैं।
कोहली ने अपने 30 शतकों में से 14 शतक भारतीय ज़मीन पर लगाए, और केवल न्यूजीलैंड में उनके बल्ले से एक शतक निकला। इस दौरान उनकी सबसे बड़ी ताकत रही उनकी अनुशासित फिटनेस और कंसिस्टेंसी। कोहली को 2020 में ICC ने “दशक का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर” घोषित किया था, और अब जब वह टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह रहे हैं, तो ये कहना गलत नहीं होगा कि यह एक युग का अंत है।