‘वोट चोरी’ आरोप पर चुनाव आयोग सख्त: EC बोला– बिना प्रमाण ‘वोट चोरी’ कहना करोड़ों मतदाताओं का अपमान, राहुल गांधी से कहा – सबूत दें या देश से माफी मांगें!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और विपक्षी दलों के ‘वोट चोरी’ और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोपों पर गुरुवार को चुनाव आयोग ने कड़ा रुख अपनाया। आयोग ने कहा कि बिना किसी ठोस सबूत के “वोट चोरी” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना न केवल करोड़ों भारतीय मतदाताओं का अपमान है, बल्कि लाखों चुनावकर्मियों की ईमानदारी पर भी सीधी चोट है।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि भारत में “एक व्यक्ति, एक वोट” का सिद्धांत 1951-52 के पहले आम चुनाव से ही लागू है और अब तक यही व्यवस्था जारी है। आयोग ने चुनौती देते हुए कहा कि यदि किसी के पास इस बात का प्रमाण है कि किसी ने एक ही चुनाव में दो बार मतदान किया है, तो उसे एक शपथ-पत्र के साथ सबूत पेश करना चाहिए, न कि पूरे देश के मतदाताओं को ‘चोर’ कहकर निशाना बनाना चाहिए।

बता दें, 12 अगस्त को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दावा किया था कि सिर्फ एक-दो सीट नहीं, बल्कि देशभर में कई सीटों पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की जा रही है और यह प्रक्रिया सुनियोजित तरीके से राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। उन्होंने बिहार की अपडेटेड वोटर लिस्ट का हवाला देते हुए 124 साल की “पहली बार वोट देने वाली” मिंता देवी का मामला उठाया। राहुल ने कहा— “ऐसे एक नहीं, बल्कि अनगिनत मामले हैं… पिक्चर अभी बाकी है।”

राहुल का कहना था कि पहले इस तरह की गड़बड़ी के सबूत नहीं थे, लेकिन अब कांग्रेस के पास ठोस सबूत हैं। उनका आरोप है कि चुनाव आयोग ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के संवैधानिक प्रावधान को लागू करने में विफल रहा है।


10 अगस्त को चुनाव आयोग ने मांगे थे सबूत

इससे पहले 10 अगस्त को कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने राहुल गांधी को नोटिस भेजकर उनके ‘वोट चोरी’ बयान के सबूत मांगे थे। राहुल ने 7 अगस्त को महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक वोट चोरी होने और एक महिला के दो बार वोट डालने का आरोप लगाया था।

आयोग ने कहा कि राहुल द्वारा दिखाए गए दस्तावेज और स्क्रीनशॉट आयोग के आधिकारिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते। इसी कड़ी में आयोग ने राहुल से कहा कि अगर वे अपने आरोपों को सही मानते हैं, तो उन्हें शपथ-पत्र पर हस्ताक्षर करके प्रमाण देने चाहिए। अन्यथा, उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।

‘हलफनामा क्यों दूं, संविधान की शपथ पहले ही ली है’ — राहुल

राहुल गांधी ने बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में ‘वोट अधिकार रैली’ के दौरान कहा कि चुनाव आयोग उनसे हलफनामा मांग रहा है, जबकि उन्होंने पहले ही संसद में संविधान की शपथ ली है। राहुल का आरोप था कि देश की जनता जब वोटर डेटा पर सवाल उठाने लगी, तो चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट ही बंद कर दी। उन्होंने कहा— “EC जानता है कि अगर जनता सवाल पूछने लगी, तो उनका पूरा ढांचा ढह जाएगा।”

7 अगस्त का आरोप: महाराष्ट्र और कर्नाटक के चुनाव में धांधली

7 अगस्त को राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान 22 पेज का प्रेजेंटेशन दिया और लगभग 1 घंटे 11 मिनट तक वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ियों का ब्यौरा रखा। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक की वोटर लिस्ट में हजारों संदिग्ध वोटर दर्ज हैं और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम देखने के बाद उन्हें पक्का यकीन हो गया कि चुनाव में धांधली हुई है।

राहुल ने कहा कि मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट न देना और संदिग्ध नाम हटाने में देरी करना यह साबित करता है कि चुनाव आयोग ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव “चुराने” का काम किया।

आगे क्या?

यह विवाद अब केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता से भी जुड़ गया है। चुनाव आयोग के कड़े बयान और राहुल गांधी के लगातार हमलों के बाद अब निगाहें इस बात पर हैं कि कांग्रेस इस मामले में अपने सबूत सार्वजनिक करती है या नहीं।

वहीं, आयोग की तरफ से संकेत है कि अगर बेबुनियाद आरोपों का सिलसिला जारी रहा, तो इस मामले में कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। आने वाले दिनों में यह टकराव और तीखा होने की संभावना है, खासकर जब देश आगामी आम चुनाव की तैयारियों में जुटा है।

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