जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
खंडवा जिले के पंधाना नगर में साइबर ठगी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। ठगों ने एक बुजुर्ग दंपती को डिजिटल अरेस्ट कर 13 दिन तक घर में कैद रखा और इस दौरान उन्हें डराकर-धमकाकर करीब 50 लाख रुपए हड़प लिए। खास बात यह रही कि ठगों ने बुजुर्ग से बैंक जाकर उनकी एफडी तक तुड़वा ली और झूठे बहाने बनाकर पैसे अपने खातों में ट्रांसफर करा लिए।
कैसे शुरू हुआ डिजिटल अरेस्ट का खेल?
18 जुलाई को बुजुर्ग दंपती के मोबाइल पर एक कॉल आया। कॉल करने वाला खुद को मुंबई के कोलंबा थाने का पुलिस अधिकारी बता रहा था। उसने कहा कि आपके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल हत्या, अपहरण और धोखाधड़ी जैसे गंभीर अपराधों में हुआ है। इसके बाद ठग ने उन्हें चेतावनी दी कि पुलिस जांच में सहयोग करना होगा, वरना गिरफ्तारी हो सकती है।
डर के माहौल में दंपती ठगों की बातों में आ गए। उन्हें सख्त निर्देश दिए गए कि वे घर से बाहर नहीं जाएंगे और किसी का फोन नहीं उठाएंगे। यही था उनका डिजिटल अरेस्ट।
वीडियो कॉल से बनाया भरोसा
ठगों ने दंपती से लगातार वीडियो कॉल पर बात की। कॉल पर उन्हें ऐसा बैकग्राउंड दिखाया गया जैसे वे किसी पुलिस थाने से बात कर रहे हों। वर्दी पहने नकली पुलिसकर्मी भी वीडियो में मौजूद थे। यह सब देखकर दंपती पूरी तरह ठगों के जाल में फंस गए।
एफडी तुड़वाकर ठगे 50 लाख
21 जुलाई को ठगों ने कहा कि उनके पैसों की जांच करनी होगी। दंपती से कहा गया कि बैंक जाकर एफडी तुड़वाओ और पैसे दिए गए अकाउंट में ट्रांसफर कराओ। डर के कारण दंपती ने 30 लाख रुपए की एफडी तुड़वाकर ठगों के खाते में डाल दी।
25 जुलाई को उन्हें दोबारा बैंक भेजा गया और कहा गया कि अगर मैनेजर पूछे तो बता देना कि प्रॉपर्टी खरीदने के लिए पैसे चाहिए। इस बार 19.50 लाख रुपए की एफडी और तुड़वाई गई।
इसके बाद भी ठगों ने चैन नहीं छोड़ा। 27 और 31 जुलाई को उन्होंने खुद को डीएसपी बताकर कॉल किया और “जमानत” दिलाने के नाम पर 70 हजार रुपए और वसूल लिए।
खुलासा कैसे हुआ?
ठगों के डर से दंपती ने 13 दिन तक किसी को यह बात नहीं बताई। 16 अगस्त को जन्माष्टमी पर महिला अपने मायके गई और भाई को रोते-रोते पूरी कहानी सुनाई। इसके बाद परिवार ने साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत की।
पुलिस जांच में क्या सामने आया?
साइबर सेल प्रभारी इंस्पेक्टर प्रवीण आर्य ने बताया कि मामला गंभीर साइबर ठगी का है। बुजुर्ग दंपती के आवेदन पर जांच शुरू कर दी गई है। प्राथमिक जांच में सामने आया कि ठगों के खाते हैदराबाद और चंडीगढ़ से जुड़े हुए थे।
इससे पहले नर्स को भी बनाया था शिकार
खंडवा में यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले 10 नवंबर 2024 को जिला अस्पताल की एक नर्स को भी डिजिटल अरेस्ट कर 21 घंटे तक कमरे में कैद रखा गया था। ठगों ने उसे भी ड्रग्स तस्करी में नाम आने की धमकी दी थी। हालांकि उस मामले में ठग पैसों की ठगी करने में सफल नहीं हो पाए थे।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
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गिरफ्तारी का डर दिखाकर घर में कैद कर देना।
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वीडियो कॉल पर पुलिस थाने जैसा नकली माहौल दिखाना।
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बैंक अकाउंट सीज करने और गिरफ्तारी की धमकी देना।
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ऐप डाउनलोड कराकर फर्जी डिजिटल फॉर्म भरवाना।
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पैसे ट्रांसफर करने के लिए डराना-धमकाना।
ऐसे करें डिजिटल अरेस्ट की कोशिश नाकाम
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अगर इस तरह का कॉल आए तो तुरंत कॉल काटें और 1930 पर शिकायत करें।
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कभी भी अंजान ऐप डाउनलोड न करें।
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बैंक या पुलिस अधिकारी कभी इस तरह की कार्रवाई फोन पर नहीं करते।
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कॉल पर मांगी गई कोई भी जानकारी या पैसा साझा न करें।
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परिजनों और नजदीकी पुलिस स्टेशन को तुरंत सूचित करें।