जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में आबकारी विभाग से जुड़े एक भयानक फर्जी बैंक चालान घोटाले ने राज्यभर में हलचल मचा दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार की सुबह एक साथ इंदौर, भोपाल और जबलपुर में ताबड़तोड़ छापेमारी की, जिससे इस घोटाले में शामिल अधिकारियों और शराब कारोबारियों की साजिश की परतें अब सामने आ रही हैं। शुरुआती जांच में घोटाले की रकम 71 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन ताजा खुलासों के बाद यह आंकड़ा अब 100 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है, जो राज्य सरकार के लिए बड़ा वित्तीय संकट खड़ा कर सकता है। इस घोटाले के जरिए शराब कारोबारियों ने सरकार को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान पहुंचाया है, और अब सवाल उठ रहा है कि इस काले धंधे में कौन-कौन से बड़े रसूखदार चेहरे शामिल हैं?
अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से हुआ घोटाला
यह घोटाला राज्य के आबकारी विभाग के अधिकारियों और शराब कारोबारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम है। जांच में सामने आया है कि कई शराब कारोबारियों ने बैंक में केवल 10 हजार रुपये जमा कराए, लेकिन चालान में उन्हें 10 लाख रुपये का फर्जी भुगतान दिखाया गया। इस चतुराई से कारोबारियों ने बड़ी मात्रा में देसी और विदेशी शराब उठाई और राज्य सरकार को टैक्स और परिवहन शुल्क के रूप में 97.97 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ। इन फर्जी चालानों की संख्या 194 तक पहुंची, और इन चालानों के जरिए सरकार के खजाने को गहरा झटका लगा।
यह घोटाला तब सामने आया जब शिकायतकर्ता राजेंद्र गुप्ता ने पुख्ता सबूत और बयान ईडी को सौंपे। इनके आधार पर 6 मई को ईडी ने इस मामले में औपचारिक प्राथमिकी दर्ज की थी। लेकिन जांच के दौरान यह पाया गया कि आबकारी आयुक्त ने जो जानकारी प्रदान की थी, वह अधूरी थी, जिसके बाद ईडी ने फिर से पूरी जानकारी की मांग की। सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह रहा कि 2015 से 2018 के बीच इंदौर जिले में अकेले 42 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जो इस घोटाले का सबसे बड़ा हिस्सा है।
इस घोटाले की गूंज अब मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय तक पहुंच चुकी है। अदालत ने माना कि आबकारी अधिकारियों और शराब ठेकेदारों के बीच मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया और इसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अलावा, राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी स्नेहलता श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की। इस रिपोर्ट ने मामले को और गंभीर बना दिया है और अब पूरे राज्य में यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस घोटाले के बड़े चेहरों पर जल्द सख्त कार्रवाई होगी?
ईडी ने आज जिन प्रमुख ठिकानों पर छापेमारी की, उनमें एमजी रोड समूह के शराब ठेकेदार अविनाश और विजय श्रीवास्तव, जीपीओ चौराहा समूह के राकेश जायसवाल, तोपखाना समूह के योगेंद्र जायसवाल, बायपास चौराहा देवगुराड़िया समूह के राहुल चौकसे, गवली पलासिया समूह के सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल जैसे नाम शामिल हैं। इन ठेकेदारों के ठिकानों पर जबरदस्त जांच की गई, और बड़ी मात्रा में दस्तावेज, बैंक रसीदें, डिजिटल डाटा और संदिग्ध ट्रांजैक्शनों के सबूत जब्त किए गए। इन सबूतों के आधार पर अब इस घोटाले से जुड़े और बड़े चेहरे सामने आने की पूरी संभावना है।