41 साल बाद अंतरिक्ष में भारत की गूंज: गाजर का हलवा लेकर गए गगनयात्री शुभांशु शुक्ला, 17 दिन बाद धरती की ओर रवाना!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

भारतीय इतिहास में 14 जुलाई 2025 की शाम एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया, जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथी एस्ट्रोनॉट्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से धरती की ओर रवाना हुए। ठीक शाम 4:45 बजे, स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने ISS के हार्मनी मॉड्यूल से अनडॉक किया। इस यात्रा के अंत में, 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे, वे प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन करेंगे। 17 दिन का यह मिशन न केवल भारत के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर भी है।

अंतरिक्ष में शुभांशु शुक्ला का ऐतिहासिक मिशन

शुभांशु 26 जून को भारतीय समयानुसार ISS पहुंचे थे। वे न केवल अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के दूसरे नागरिक बने, बल्कि पहले भारतीय बने जो ISS पर पहुंचे और वहां 17 दिन तक रहे। गौर करने वाली बात यह है कि भारत को इस मिशन की एक सीट के लिए 548 करोड़ रुपये चुकाने पड़े, लेकिन इसके बदले देश को वो अनुभव मिला, जो आने वाले गगनयान मिशन 2027 की नींव मजबूत करेगा।

इस मिशन के दौरान शुभांशु ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें भारत के सात प्रमुख प्रयोग शामिल थे। वे अंतरिक्ष में मेथी और मूंग के बीज उगाते दिखे, माइक्रोग्रैविटी में हड्डियों पर प्रभाव वाले अध्ययन में भाग लिया और ‘स्पेस माइक्रोएल्गी’ जैसे एक्सपेरिमेंट को अंजाम दिया। यह सभी प्रयोग भारत के स्पेस और हेल्थ साइंस के लिए अमूल्य हैं।

प्रधानमंत्री और छात्रों से सीधा संवाद

28 जून को शुभांशु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ISS से सीधा वीडियो कॉल किया। बातचीत के दौरान जब पीएम मोदी ने मज़ाक में पूछा कि “क्या गाजर का हलवा साथियों को भी खिलाया?” तो शुभांशु ने मुस्कराते हुए कहा, “हां, साथ बैठकर खाया!” यह संवाद न केवल भावुक क्षण था, बल्कि देशवासियों के दिल से जुड़ने वाला पल भी।

इसके अलावा, उन्होंने 3, 4 और 8 जुलाई को लखनऊ, बेंगलुरु और तिरुवनंतपुरम के 500 से अधिक छात्रों से हैम रेडियो के माध्यम से संवाद किया। इसका मकसद था युवाओं में STEM (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग, गणित) के प्रति रुचि पैदा करना और उन्हें सपने देखने की प्रेरणा देना।

ISRO के साथ रणनीतिक चर्चा

6 जुलाई को शुभांशु ने ISRO प्रमुख डॉ. वी. नारायणन और वरिष्ठ वैज्ञानिकों से सीधा संवाद किया। इस बातचीत में गगनयान मिशन से जुड़ी रणनीति, प्रयोगों की सफलता और भारतीय स्पेस प्रोग्राम में मानवीय अंतरिक्ष यात्रा की संभावनाओं पर चर्चा हुई।

ISS से खींची पृथ्वी की दुर्लभ तस्वीरें

शुभांशु ने ISS के कपोला मॉड्यूल से पृथ्वी की बेहद दुर्लभ और खूबसूरत तस्वीरें साझा कीं। सात खिड़कियों वाला यह हिस्सा विशेष रूप से अवलोकन के लिए डिज़ाइन किया गया है। इन तस्वीरों में भारत का सौंदर्य, नीली धरती का जादू और अंतरिक्ष से जीवन का अद्भुत दृश्य झलकता है।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और एक्सियम मिशन 4

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) मानवता का सबसे बड़ा और सबसे सफल अंतरिक्ष प्रयोगशाला है, जो हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है। इसमें माइक्रोग्रैविटी में विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के प्रयोग किए जाते हैं। इसे अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान और कनाडा की पांच स्पेस एजेंसियों ने मिलकर बनाया है।

एक्सियम-4 मिशन, जिसमें शुभांशु शामिल थे, स्पेसएक्स, NASA, ISRO और एक्सियम स्पेस की साझेदारी में हुआ। इससे पहले अप्रैल 2022, मई 2023 और जनवरी 2024 में एक्सियम के तीन मिशन हो चुके हैं। लेकिन एक्सियम-4 मिशन खास इसलिए है क्योंकि इसमें भारत पहली बार क्रू स्तर पर भागीदार बना।

41 साल बाद भारत की वापसी अंतरिक्ष में

1984 में राकेश शर्मा ने जब “सारे जहां से अच्छा” कहा था, तब से लेकर अब तक भारत ने विज्ञान की बहुत लंबी यात्रा तय की है। शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष उड़ान ने उस विरासत को आगे बढ़ाया है। वे अब गगनयान मिशन के अनुभव को दिशा देंगे, जो 2027 तक लॉन्च हो सकता है और भारत का पहला पूर्ण स्वदेशी मानव मिशन होगा।

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