जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
गणेशोत्सव के आगमन से पहले मध्य प्रदेश में मिट्टी के गणेश बनाने का अनोखा और प्रेरणादायी अभियान तेजी से जन-जन तक पहुँच रहा है। सनातन संस्कृति के साथ पर्यावरण संरक्षण को जोड़ते हुए राजधानी भोपाल से लेकर महाकाल की नगरी उज्जैन तक हजारों नागरिक, बच्चे और विद्यार्थी अपने हाथों से पर्यावरण-हितैषी गणेश प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं। इस पहल का मकसद है – प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) और हानिकारक रंगों से बनी मूर्तियों के स्थान पर मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से बने गणेशों का उपयोग बढ़ाना, ताकि आस्था और प्रकृति दोनों की रक्षा हो सके।
भोपाल: एप्को का ग्रीन गणेश अभियान
भोपाल में पर्यावरण विभाग की संस्था एप्को ने ‘ग्रीन गणेश अभियान’ के तहत 22 से 25 अगस्त तक चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की। दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक चलने वाली इस कार्यशाला में नागरिकों ने उत्साह से भाग लिया। प्रतिभागियों को मिट्टी और प्राकृतिक रंग निःशुल्क उपलब्ध कराए गए और अनुभवी मूर्तिकारों ने मार्गदर्शन किया।
अब तक लगभग 750 प्रतिभागी अपने हाथों से गणेश प्रतिमा बनाकर घर ले जा चुके हैं। कार्यक्रम समन्वयक राजेश रायकवार ने प्रतिभागियों को पर्यावरण प्रदूषण से बचाव के तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी और प्रतिमाओं का विसर्जन घर पर करने का संकल्प दिलाया। मूर्तिकार कमलेश व प्रशिक्षक मनीष, महेंद्र, शिवलाल, सुनील, राकेश और राजेंद्र ने प्रतिभागियों की सहायता की।
उज्जैन: 35 विद्यालयों के 5,000 से अधिक विद्यार्थियों की सहभागिता
उज्जैन में गणेशोत्सव को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए विधायक अनिल जैन कालुहेड़ा के आवाहन पर एक विशाल कार्यशाला चिमनगंज मंडी परिसर में आयोजित की गई। इसमें शहर के 35 विद्यालयों के लगभग 5,000 विद्यार्थी और 600 शिक्षक-प्राचार्य शामिल हुए।
इस मौके पर विधायक अनिल जैन ने बच्चों और शिक्षकों को शपथ दिलाई कि वे इस बार प्लास्टिक या POP की मूर्तियों का उपयोग नहीं करेंगे। कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने भी संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि जिले में गणेश प्रतिमा निर्माण हेतु केवल मिट्टी का उपयोग होगा और प्लास्टिक सामग्री पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा।
जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी बच्चों के साथ मिट्टी के गणेश बनाते नजर आए। शासकीय कन्या इन्द्रानगर, कन्या स्कूल धान मंडी, मॉडल स्कूल, जीवाजीगंज, भरवगण, आदर्श संस्कृत विद्यालय, खिलचीपुर और फाजलपुरा स्कूल समेत कई शैक्षणिक संस्थानों के बच्चों ने अपनी सहभागिता से इस अभियान को सफल बनाया।
जन अभियान परिषद का ‘माटी के गणेश सिद्ध गणेश’ अभियान
इसी क्रम में उज्जैन में मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा ‘माटी के गणेश – सिद्ध गणेश’ कार्यशाला का आयोजन शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दशहरा मैदान में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती पूजन से हुई।
इस अवसर पर शासी निकाय सदस्य अजीता परमार, प्राचार्य प्रशांत पौराणिक, प्रशासनिक अधिकारी दिनेश खंडेलवाल और जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक जय दीक्षित मंचासीन रहे। अतिथियों का स्वागत श्री महाकाल के दुपट्टे भेंट कर किया गया।
अपने संबोधन में अजीता परमार ने कहा कि “यह अभियान हमारी धार्मिक आस्था को पर्यावरण से जोड़ने का कार्य कर रहा है। मिट्टी का गणेश न केवल प्रकृति की रक्षा करता है, बल्कि हमारी परंपराओं और पूजा विधियों को भी और शुद्ध बनाता है।” वहीं, प्रशांत पौराणिक ने समझाया कि “माटी के गणेश” का अर्थ है – प्रकृति से जुड़ाव, नकारात्मक ऊर्जा का नाश और घर में सुख-समृद्धि का प्रवेश।
कार्यशाला में प्रोफेसर, छात्र-छात्राएं और परिषद के विकास समन्वयक मोहन सिंह परिहार, अरुण व्यास, परामर्शदाता राजेश रावल, विकेंद्र शर्मा, कैलाश यादव आदि ने भागीदारी की। प्रशिक्षण का संचालन विक्रांत शाह द्वारा किया गया।
इन अभियानों ने यह साबित कर दिया है कि सनातन परंपराएं केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनमें प्रकृति संरक्षण का गहरा संदेश भी निहित है। मिट्टी की गणेश प्रतिमा न केवल देखने में सुंदर और पारंपरिक होती है, बल्कि जलस्रोतों को प्रदूषण से बचाती है। महाकाल की नगरी उज्जैन और राजधानी भोपाल में चल रही ये पहल आने वाले समय में पूरे प्रदेश के लिए उदाहरण बनेगी। गणेशोत्सव पर जब लाखों घरों में मिट्टी के गणेश विराजेंगे, तब यह न केवल भगवान गणेश की आराधना होगी बल्कि प्रकृति की भी पूजा होगी।