जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर भूचाल की चपेट में है! बीड जिले में हुए दिल दहला देने वाले सरपंच हत्याकांड ने सत्ता की बुनियाद हिला दी है। इस जघन्य अपराध के तार राज्य सरकार तक पहुंचने लगे, तो नतीजा यह हुआ कि अजित पवार गुट के कद्दावर नेता और मंत्री धनंजय मुंडे को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन क्या सिर्फ एक इस्तीफे से इंसाफ मिलेगा, या यह महज राजनीतिक कुर्बानी है? विपक्ष सवालों की बौछार कर रहा है, तो सरकार अपने बचाव में तर्कों की दीवार खड़ी कर रही है।
9 दिसंबर, 2024 की रात बीड में जो हुआ, वह रोंगटे खड़े कर देने वाला था। सरपंच संतोष देशमुख पर बेरहमी से हमला हुआ, लाठी-डंडों से पीटा गया, उनके कपड़े तक उतार दिए गए, और फिर अमानवीयता की सारी हदें पार करते हुए आरोपियों ने उन पर पेशाब किया। ये पूरी घटना आरोपियों ने न केवल अंजाम दी, बल्कि इसका वीडियो बनाकर मोबाइल में भी कैद कर लिया।
SIT की चार्जशीट – कौन है असली मास्टरमाइंड?
मामले की जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने बड़ा खुलासा किया। चार्जशीट के मुताबिक, इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड और कोई नहीं, बल्कि मंत्री धनंजय मुंडे का करीबी वाल्मीक कराड था। कराड के अलावा, इस मामले में सुदर्शन घुले, प्रतीक घुले, विष्णु चाटे, सुधीर सांगले और कृष्णा अंधले को आरोपी बनाया गया है।
चार्जशीट में एक चौंकाने वाला दावा किया गया – सरपंच संतोष देशमुख को इसलिए मारा गया, क्योंकि उन्होंने दो करोड़ की फिरौती वसूली के खिलाफ आवाज उठाई थी।
वाल्मीक कराड ने बीड में मौजूद एक रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी के भूमि अधिग्रहण अधिकारी से ₹2 करोड़ की फिरौती मांगी थी, लेकिन संतोष देशमुख ने इसका विरोध किया। यही विरोध उनकी मौत का कारण बना। SIT ने आरोपियों की कॉल रिकॉर्डिंग, फोरेंसिक रिपोर्ट और CCTV फुटेज को सबूत के तौर पर पेश किया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि हत्या एक योजनाबद्ध साजिश का हिस्सा थी।
बता दें, संतोष देशमुख हत्याकांड की जांच कर रही महाराष्ट्र पुलिस की विशेष जांच टीम ने 1 मार्च को इस मामले में चार्जशीट पेश की थी। चार्जशीट का एक हिस्सा 3 मार्च को मीडिया में लीक हो गया, जिसमें वाल्मीक कराड के साथियों द्वारा संतोष देशमुख की हत्या की तस्वीरें शामिल थीं। इन तस्वीरों के सामने आने के बाद, फडणवीस ने अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल और NCP महाराष्ट्र के प्रमुख सुनील तटकरे के साथ एक बैठक की।
धनंजय मुंडे का इस्तीफा – इंसाफ या राजनीतिक बचाव?
हालांकि जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंत्री धनंजय मुंडे से इस्तीफा मांगा, तो यह तय हो गया था कि मामला सत्ता के गलियारों तक पहुंच चुका है और महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया। विपक्ष ने इसे “सत्ता का चेहरा बचाने की कोशिश” करार दिया, तो सरकार ने इसे “कानून-व्यवस्था की मजबूती” का उदाहरण बताया। मुंडे ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दिया, लेकिन विपक्ष इसे ‘पॉलिटिकल एस्केप रूट’ बता रहा है।
इसी बीच महाराष्ट्र के बीड में सरपंच हत्या मामले में NCP अजित पवार गुट के विधायक और मंत्री धनंजय मुंडे ने इस्तीफा सौंप दिया है। इस्तीफा देने के बाद मुंडे ने सफाई दी – “मेरी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए मैं मंत्री पद छोड़ रहा हूं। लेकिन मैं पहले दिन से ही कह रहा हूं कि दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।” इस्तीफे पर महाराष्ट्र CM देवेंद्र फडणवीस ने कहा,”महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे ने आज अपना इस्तीफा दे दिया है। मैंने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और आगे की कार्रवाई के लिए इसे राज्यपाल को भेज दिया है।”
इधर, इस हत्याकांड को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। उद्धव ठाकरे गुट के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा –“सिर्फ मुंडे के इस्तीफे से काम नहीं चलेगा। महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। सरकार बर्खास्त होनी चाहिए!” वहीं, पूर्व मंत्री जितेंद्र अह्वाड ने कहा –“सरपंच की हत्या की तस्वीरें देखकर कोई भी इंसान विचलित हो जाएगा। ये सरकार अपराधियों को संरक्षण दे रही है।”