जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग में एक बार फिर बड़ा बदलाव हुआ है, जिससे संगठन के भीतर हलचल मच गई है। बीते साल 27 मार्च को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पुराने मीडिया अध्यक्ष केके मिश्रा को हटाकर वरिष्ठ नेता मुकेश नायक को नया अध्यक्ष नियुक्त किया था। साथ ही 9 मुख्य प्रवक्ताओं और 22 प्रवक्ताओं की टीम बनाई गई थी। लेकिन अब कांग्रेस ने मीडिया विभाग की संरचना को पूरी तरह बदलते हुए मुख्य प्रवक्ता का पद ही समाप्त कर दिया है और संगठन प्रभारी संजय कामले ने एक साथ 53 नए प्रवक्ताओं की नियुक्ति कर दी है।
इस नई सूची में कई चौंकाने वाले नाम गायब हैं, जिनमें तीन पूर्व विधायक भी शामिल हैं। कालापीपल से पूर्व विधायक कुणाल चौधरी, निवास से डॉ. अशोक मर्सकोले, और सबलगढ़ से बैजनाथ कुशवाह को मीडिया टीम से बाहर कर दिया गया है। इनके अलावा विपिन वानखेड़े, राजकुमार केलू उपाध्याय, रीना बौरासी, अवनी बंसल और अमित शर्मा जैसे सक्रिय चेहरों की भी छुट्टी कर दी गई है। यह फैसला कांग्रेस के भीतर कई सवाल खड़े कर रहा है — क्या यह परफॉर्मेंस आधारित बदलाव है या अंदरूनी खींचतान का नतीजा?
गौरतलब है कि मार्च 2024 में बनाए गए नौ मुख्य प्रवक्ताओं में से अधिकतर को अब टीम से बाहर कर दिया गया है। उस समय भूपेंद्र गुप्ता, मृणाल पंत, शैलेन्द्र पटेल, कुणाल चौधरी, विपिन वानखेड़े, विनय सक्सेना, निशा बांगरे, रोशनी यादव और अब्बास हफीज को मुख्य प्रवक्ता बनाया गया था। इनमें से अब केवल कुछ ही लोग संगठन की नई टीम में बचे हैं। इसके अलावा, पिछले साल बनाए गए 22 प्रवक्ताओं की लिस्ट से भी कई नाम हटा दिए गए हैं, जैसे – फरहाना खान, आरपी सिंह, अपराजिता पांडेय, संतोष गौतम, योगेश यादव, विवेक त्रिपाठी, और स्पर्श चौधरी।
कांग्रेस द्वारा इतनी बड़ी संख्या में एक साथ 53 प्रवक्ताओं की नियुक्ति करना अपने आप में अभूतपूर्व है। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि पार्टी लोकसभा चुनाव और आने वाले विधानसभा उपचुनावों के मद्देनज़र अपने संवाद तंत्र को नए सिरे से मजबूत करने की कोशिश कर रही है। हालांकि जिन नेताओं को बाहर किया गया है, उनकी नाराजगी और भविष्य की प्रतिक्रिया आने वाले दिनों में कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन सकती है।