जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
सिवनी जिले के धूमा क्षेत्र में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किए जाने के मामले में अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। फरवरी 2025 में हुई इस घटना को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच – चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन – ने जिले के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और धूमा थाने के प्रभारी को नोटिस जारी किया है, और 7 दिन में शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है।
यह मामला स्थानीय निवासी जितेंद्र अहिरवार द्वारा दायर जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसकी पैरवी अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने की। कोर्ट को बताया गया कि 10-11 फरवरी की रात अज्ञात लोगों ने धूमा थाना क्षेत्र के एक गांव में बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति को तोड़ दिया। अगले दिन एफआईआर भी दर्ज कराई गई, लेकिन आज तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि पुलिस ने पुराने मामले की जांच बंद कर दी और जर्जर मूर्ति को चुपचाप हटा दिया। बिना किसी सूचना या प्रक्रिया के नई मूर्ति कहीं से लाकर स्थापित कर दी गई, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि नई मूर्ति किसने लाई, कहां से लाई गई और उसके लिए खर्च कहां से किया गया।
अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने यह भी आरोप लगाया कि जब याचिकाकर्ता ने सिवनी कलेक्टर, एसपी और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से इस बारे में शिकायत की, तो किसी ने भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया। उल्टा, पुलिस याचिकाकर्ता पर ही दबाव बना रही है कि वह इस मामले को आगे न बढ़ाए।
ढाई महीने से भी ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद कोई गिरफ्तारी न होने और जांच में लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए, हाईकोर्ट ने सिवनी पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया है कि वे अगली सुनवाई में शपथ पत्र के माध्यम से यह बताएं कि अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई की गई है। इसके अलावा कोर्ट ने पूरा कार्रवाई विवरण भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
अब 7 मई को होने वाली अगली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने इस गंभीर घटना पर अब तक क्या कदम उठाए हैं। यह मामला सिर्फ एक प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने का नहीं, बल्कि समाज के एक बड़े वर्ग की आस्था और संविधान निर्माता के सम्मान को ठेस पहुंचाने का भी है।