जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया :
मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स चल रही हड़ताल पर हाई कोर्ट में हड़ताल को गैरकानूनी घोषित करते हुए इसे खत्म करने की मांग को लेकर जनहित याचिका लगाई गई थी . जिसकी सुनवाई शनिवार को हुई। इस दौरान एक्टिंग चीफ जस्टिस की बेंच ने हड़ताल पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि “हड़ताल का यह तरीका कतई ठीक नहीं है। अगर किसी की जान निकल रही होगी, तो कहिएगा दो दिन बाद दवाई देंगे। हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की काम पर लौटने की भी सलाह दी है।
जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा “कोई भी मरीज हड़ताल के खत्म होने का इंतजार नहीं करेगा. यदि हड़ताल की वजह से किसी की जान चली जाती है तो यह बहुत चिंता की बात होगी. वह जिस मुद्दे को लेकर हड़ताल पर गए हैं, वह समस्या केवल मध्य प्रदेश की नहीं है बल्कि पूरे देश की और पूरे समाज की है. पूरा समाज इस बात के लिए चिंतित है. लेकिन इसके लिए हड़ताल करना सही तरीका नहीं है.” एक्टिंग चीफ जस्टिस ने कड़े लहजे में जूनियर डॉक्टर को समझाइश दी है और कहा कि उनकी सभी बातें सुनी जाएंगी लेकिन पहले वे काम पर लौटें.
दरअसल पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता के बाद पूरे देश में चिकित्सा समुदाय को गहराई से झकझोर दिया है। इस घटना के विरोध में मध्य प्रदेश के डॉक्टरों ने हड़ताल की घोषणा की है। जूनियर डॉक्टरों की इस हड़ताल को राज्य के निजी अस्पतालों का भी समर्थन प्राप्त हुआ है, जिन्होंने अपनी ओपीडी सेवाओं को बंद कर दिया है।
वहीं, कोर्ट की टिप्पणी पर मध्यप्रदेश के शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ ने कहा कि हम चाहते हें कि देश में समान कानून बने। हाईकोर्ट को लेकर हम आश्चर्यचकित हैं। देश में आंदोलन चल रहा हो, जहां इतनी बड़ी घटना हो गई है। दूसरी ओर हाईकोर्ट कहे कि आंदोलन का अधिकार नहीं है।
हाईकोर्ट क्या चाहता है, हम पिट जाएं, मर जाएं। हमारे अधिकार नहीं हैं। मेरा कहना है कि हमें अपनी सुरक्षा और साथियों की सुरक्षा के लिए आंदोलन का अधिकार है। ऐसे में हाईकोर्ट हमारी बात को समझे।