रानी लक्ष्मीबाई ने आत्महत्या की थी?” कांग्रेस विधायक के बयान से मचा बवाल, बिफरी भाजपा; बयान का विडियो भी हो रहा वायरल!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश के दतिया जिले के भांडेर से कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार मामला ऐसा है, जिसने देश की वीरांगनाओं की प्रतीक रही रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पुराने वीडियो में बरैया कहते नजर आ रहे हैं—

“युद्ध का मैदान झांसी में था, और रानी लक्ष्मीबाई मरीं थीं ग्वालियर में… आत्महत्या करके। आत्महत्या करने वाली को कभी वीरांगना कहा तो फिर जो रोज़ 10 लड़कियां आत्महत्या कर रही हैं, उन्हें भी वीरांगना कहो।”

यह वीडियो भाजपा के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा किया और तीखी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा—

“18 जून को महारानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि है, और इस नेता की यह ‘काली जुबान’ माफ करने योग्य नहीं है। मैं तीखी निंदा करता हूं।”

विवाद बढ़ने पर जब फूल सिंह बरैया से बात की, तो उन्होंने दावा किया कि यह वीडियो करीब 10 साल पुराना है और उनके बयान को गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है।

बरैया ने कहा कि उनका मकसद रानी लक्ष्मीबाई को नीचा दिखाना नहीं था, बल्कि झलकारी बाई कोरी जैसी उन अनदेखी वीरांगनाओं की ओर ध्यान खींचना था, जिनका जिक्र इतिहास में शायद ही हुआ हो।

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने ‘आत्महत्या’ शब्द का प्रयोग क्यों किया, तो बरैया ने कहा कि उन्होंने यह जानकारी “बुंदेलखंड का वृहद इतिहास” नामक एक किताब से ली है, जिसे काशीनाथ त्रिपाठी नामक लेखक ने लिखा है। उनके अनुसार:

  • झांसी की रानी को 1853 में अंग्रेजों ने झांसी से हटा दिया था।

  • वे ₹5000 पेंशन पर एक महल में 4–5 साल रहीं।

  • 1857 के विद्रोह के समय सिपाहियों ने उन्हें नेतृत्व के लिए मजबूर किया।

  • अंततः रानी झांसी छोड़कर कालपी होते हुए ग्वालियर पहुंचीं।

  • ग्वालियर में एक नाले में घोड़े का पैर टूट गया, और कुछ वर्णनों के अनुसार रानी ने गंगादास की झोपड़ी में खुद को आग लगाकर जीवन समाप्त कर लिया।

बरैया का कहना है कि उनकी समझ में जो युद्ध में लड़ते हुए मरता है वही ‘वीर’ कहलाता है, और उन्होंने सिर्फ वही कहा जो उन्होंने पढ़ा और समझा।

पर विवाद क्यों है इतना गहरा?

भारत में रानी लक्ष्मीबाई सिर्फ एक ऐतिहासिक पात्र नहीं, बल्कि भारत की नारीशक्ति, स्वतंत्रता संग्राम और साहस की प्रतीक हैं। उनकी शहादत को लेकर विवादित टिप्पणी न केवल राजनीतिक भूचाल खड़ा कर देती है, बल्कि देश की संवेदनाओं को भी आहत करती है।

भाजपा नेताओं के अलावा, इतिहासकार, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक भी इस बयान को “वीरांगना के अपमान” के तौर पर देख रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने बरैया के खिलाफ माफी की मांग की है, तो कुछ ने उनके विधानसभा से निष्कासन की मांग तक कर डाली है।

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