जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
शहडोल जिला न्यायालय ने चर्चित धर्मगुरु और बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस एक कथित विवादित बयान को लेकर जारी हुआ है, जिसमें उन्हें 20 मई 2025 को सुबह 11 बजे कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिए गए हैं। यह आदेश शहडोल कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट सीताशरण यादव की अदालत से 15 मई को जारी किया गया।
दरअसल, 27 जनवरी 2025 को प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में धीरेंद्र शास्त्री ने मंच से बयान देते हुए कहा था – “महाकुंभ में हर व्यक्ति को आना चाहिए, जो नहीं आएगा वह पछताएगा और देशद्रोही कहलाएगा।” इस बयान के सार्वजनिक होते ही न केवल सोशल मीडिया पर बवाल मच गया, बल्कि इसे संविधान और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ बताते हुए कानूनी कार्रवाई की माँग भी उठने लगी।
शहडोल के वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप कुमार तिवारी ने इस बयान को आधार बनाकर 3 मार्च 2025 को जिला अदालत में परिवाद दायर किया। उन्होंने सवाल उठाया – “क्या देश की सीमाओं पर तैनात सैनिक, ऑपरेशन में व्यस्त डॉक्टर, ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी या कोई आम नागरिक जो कुंभ में नहीं आ पाता, क्या उसे भी देशद्रोही कहा जाएगा?” तिवारी का दावा है कि इस तरह का बयान समाज में वैमनस्यता फैलाने वाला है और इससे राष्ट्रभक्ति जैसे गंभीर विषय का धार्मिक आयोजनों से गलत ढंग से जुड़ाव हो रहा है।
तिवारी ने पहले 4 फरवरी को शहडोल के सोहागपुर थाने में लिखित शिकायत दी थी। जब पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने पुलिस अधीक्षक को भी ज्ञापन भेजा। अंततः जब पुलिस प्रशासन से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, तब उन्होंने 3 मार्च को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में कानूनी याचिका दायर की।
परिवाद में यह भी तर्क रखा गया कि “जब सोशल मीडिया पर किसी की अमर्यादित टिप्पणी पर FIR दर्ज की जा सकती है, तो सार्वजनिक मंच से लाखों लोगों के सामने देशद्रोह जैसा गंभीर बयान देने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए?” अब न्यायालय ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए पंडित धीरेंद्र शास्त्री को नोटिस जारी किया है और 20 मई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पक्ष रखने का निर्देश दिया है।