जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के चसोटी गांव में 14 अगस्त को दोपहर करीब 12:30 बजे भीषण प्राकृतिक त्रासदी हुई, जब पहाड़ों पर अचानक बादल फटने से तेज़ बहाव के साथ पानी और मलबा गांव में आ गया। इस हादसे में अब तक 65 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 100 से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। प्रशासन ने बताया कि अब तक 167 लोगों को बचाया गया है, जिनमें से 38 की हालत गंभीर है।
हजारों श्रद्धालुओं के बीच फटा बादल
यह हादसा उस वक्त हुआ जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा के पहले पड़ाव चसोटी में मौजूद थे। यहां से यात्रा की औपचारिक शुरुआत होती है। श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और दुकानें तेज़ बहाव में बह गए। किश्तवाड़ के डिप्टी कमिश्नर पंकज शर्मा के अनुसार, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें, सेना और पुलिस के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। व्हाइट नाइट कोर की मेडिकल टीम और राष्ट्रीय राइफल्स के जवान भी राहत कार्य में शामिल हैं।
स्थानीय भूगोल ने बढ़ाई तबाही
चसोटी, किश्तवाड़ शहर से करीब 90 किलोमीटर दूर पड्डर घाटी में स्थित है। यह इलाका समुद्र तल से 1,818 से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर है, जहां ग्लेशियर और ढलानदार पहाड़ पानी के बहाव को बेहद तेज़ बना देते हैं। यही कारण है कि बादल फटने के बाद मलबा और पानी ने कुछ ही मिनटों में बड़े हिस्से को तबाह कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शी का दर्दनाक अनुभव
जम्मू की रहने वाली 32 वर्षीय स्नेहा ने इस भयावह घटना को याद करते हुए बताया कि वह अपने परिवार के साथ गाड़ियों के पास सामान रख रही थीं, तभी अचानक एक जोरदार धमाका हुआ और पहाड़ी के ऊपर से बादल फटते हुए देखा। कुछ ही सेकंड में तेज़ बहाव ने उन्हें और उनके परिवार के चार सदस्यों को बहा लिया। स्नेहा कीचड़ और मलबे में एक गाड़ी के नीचे फंस गईं, जहां चारों ओर लाशें बिखरी थीं। उन्होंने बताया कि कई शवों के अंग कटे हुए थे और बच्चों की गर्दनें टूट गई थीं।
प्रशासन और सेना का संयुक्त बचाव अभियान
स्थानीय लोगों, सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने घंटों मशक्कत के बाद घायलों को कीचड़ भरे इलाके से निकाला और पीठ पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया। भाजपा विधायक शगुन परिहार ने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन तेज़ी से चल रहा है और हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि अधिक से अधिक लोगों को जीवित निकाला जा सके।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने X पोस्ट में बताया कि वे व्यक्तिगत रूप से चसोटी पहुंचकर राहत और बचाव कार्य की निगरानी करेंगे। उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने मृतकों की संख्या पर अनुमान लगाने को अनुचित बताया और कहा कि एक भी जान का जाना दुखद है। उन्होंने प्रार्थना की कि मां मचैल लापता लोगों को सुरक्षित लौटाएं।
प्रधानमंत्री का आश्वासन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से फोन पर बात कर स्थिति की जानकारी ली और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। रक्षा बलों ने भी रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए जम्मू और उधमपुर में एमआई-17 और HAL हेलिकॉप्टर को स्टैंडबाय पर रखा है।
मचैल माता यात्रा पर असर
यह हादसा मचैल माता यात्रा के पहले पड़ाव पर हुआ, जिससे यात्रा पर आए हजारों श्रद्धालुओं में दहशत का माहौल है। यह वार्षिक यात्रा 25 जुलाई से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलती है और हर साल हजारों श्रद्धालु इसमें हिस्सा लेते हैं।