जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मुंबई के KEM अस्पताल में सोमवार को दो कोविड पॉजिटिव मरीजों की मौत से एक बार फिर कोरोना को लेकर चिंता बढ़ गई है। हालांकि, डॉक्टरों का दावा है कि इन मौतों की सीधी वजह कोरोना संक्रमण नहीं, बल्कि उनकी पुरानी गंभीर बीमारियाँ थीं। एक मरीज मुंह के कैंसर से जूझ रहा था, जबकि दूसरा किडनी की गंभीर बीमारी नेफ्रोटिक सिंड्रोम से पीड़ित था। दोनों ही मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव जरूर थी, लेकिन मृत्यु का मुख्य कारण उनके पुराने रोग रहे।
इस बीच एशिया के कई देशों से डरावने आंकड़े सामने आ रहे हैं। सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, चीन और थाईलैंड जैसे देशों में कोरोना के मामले फिर से बढ़ते दिख रहे हैं। सिंगापुर में 1 मई से 19 मई तक 3,000 से अधिक नए केस दर्ज किए गए हैं, जो अप्रैल के आखिरी हफ्ते की तुलना में 28% ज्यादा हैं। हॉन्गकॉन्ग में जनवरी से अब तक 81 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 30 लोगों की मौत हो चुकी है। चीन और थाईलैंड में भी स्थिति को लेकर सरकारें अलर्ट पर हैं, हालांकि इन देशों ने अभी तक मरीजों की संख्या सार्वजनिक नहीं की है।
भारत की बात करें तो फिलहाल यहाँ हालात नियंत्रण में हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 1 जनवरी से 19 मई 2025 तक देश में केवल 257 नए मामले सामने आए हैं। सरकार का कहना है कि भारत में किसी भी नई लहर के संकेत नहीं हैं, लेकिन एशियाई देशों में बढ़ते मामलों को देखते हुए सतर्कता ज़रूरी है। मुंबई के डॉक्टरों ने भी हल्के लक्षणों वाले मामले खासकर युवाओं में देखे हैं, लेकिन कोई बड़ा खतरा नजर नहीं आ रहा।
क्या है ये नया वैरिएंट JN1 और क्यों है ये चर्चा में?
कोरोना की इस बार की संभावित वापसी के पीछे ओमिक्रॉन का नया वैरिएंट JN1 और इसके सब-वैरिएंट्स LF7 और NB1.8 जिम्मेदार माने जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये वेरिएंट पुराने वेरिएंट्स की तुलना में इम्यूनिटी को ज्यादा तेजी से प्रभावित करते हैं, हालांकि अब तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि ये पहले से ज्यादा घातक या जानलेवा हैं। JN1 वैरिएंट को अगस्त 2023 में पहली बार पहचाना गया था और दिसंबर 2023 में WHO ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया। इसमें 30 से ज्यादा म्यूटेशंस पाए गए हैं, जो इम्यून सिस्टम को प्रभावित करते हैं।
अमेरिका की जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, JN1 बहुत तेजी से फैलने में सक्षम है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता। हालांकि जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है, जैसे बुजुर्ग, कैंसर, किडनी या हार्ट पेशेंट, उनके लिए यह वैरिएंट गंभीर खतरा बन सकता है।
इस नए वेरिएंट को देखते हुए वैक्सीन को लेकर भी चिंता बनी हुई है। स्टडीज़ के अनुसार JN1 को मौजूदा इम्यून सिस्टम आसानी से नहीं रोक पा रहा है। पहले की वैक्सीन्स और नेचुरल इन्फेक्शन से बनी एंटीबॉडीज इसके खिलाफ कमज़ोर साबित हो रही हैं। हालांकि, WHO द्वारा अधिकृत XBB.1.5 मोनोवैलेंट बूस्टर वैक्सीन को JN1 के खिलाफ असरदार माना गया है। यह वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडीज को बढ़ाकर JN1 से होने वाली बीमारी को 19% से 49% तक रोक सकती है।
चीन और थाईलैंड दोनों ही देशों ने कोविड को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया है। चीन में जांच के दौरान सामने आए पॉजिटिव मामलों की संख्या पहले से दोगुनी हो चुकी है। वहां लोगों को बूस्टर शॉट लेने की सख्त सलाह दी गई है। चीन के ‘सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन’ का कहना है कि देश में जल्द ही एक नई लहर आ सकती है। थाईलैंड में भी दो अलग-अलग इलाकों में कोविड मामलों में अचानक तेजी देखी गई है, जिससे वहां की सरकारें सतर्क हो गई हैं।
भारत में कोविड-19 के अब तक तीन बड़े चरण देखे गए हैं। पहली लहर जनवरी 2020 से फरवरी 2021 तक चली, जिसमें 1.08 करोड़ मामले आए और करीब 1.55 लाख मौतें हुईं। दूसरी लहर मार्च 2021 से मई 2021 तक रही, जिसे अब तक की सबसे घातक लहर माना गया। इस दौरान डेल्टा वेरिएंट ने जमकर कहर बरपाया, ऑक्सीजन और अस्पतालों की भारी कमी हुई, और अकेले इस लहर में 1.69 लाख मौतें दर्ज की गईं। तीसरी लहर ओमिक्रॉन के कारण दिसंबर 2021 से फरवरी 2022 तक रही, जिसमें मामलों की संख्या तो बहुत ज्यादा थी (50 लाख से अधिक), लेकिन मृत्यु दर बहुत कम (0.2%) रही।
इन लहरों के दर्दनाक अनुभवों को देखते हुए, भारत सरकार और हेल्थ एक्सपर्ट्स लोगों से अपील कर रहे हैं कि किसी भी तरह की लापरवाही न करें। बूस्टर डोज लें, मास्क पहनें, भीड़भाड़ से बचें और यदि लक्षण दिखें तो तुरंत जांच करवाएं।