जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत में एक बार फिर युद्ध जैसे हालात से निपटने की तैयारी की जा रही है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और पाकिस्तान के साथ लगातार बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। मंगलवार, 7 मई को देशभर के 244 चिन्हित इलाकों में एक साथ युद्धकालीन हालात के लिए मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। यह अभ्यास गृह मंत्रालय की निगरानी में किया जा रहा है और इसके तहत देश की जनता को युद्ध जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया जाएगा।
गृह मंत्रालय ने देशभर के जिन 244 इलाकों को मॉक ड्रिल के लिए चुना है, उन्हें सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स के रूप में लिस्ट किया गया है। ये इलाके सामान्य प्रशासनिक जिलों से अलग हैं और संवेदनशीलता के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित किए गए हैं—कैटेगरी-1 (अत्यंत संवेदनशील), कैटेगरी-2 (मध्यम संवेदनशील) और कैटेगरी-3 (कम संवेदनशील)।
इस मॉक ड्रिल की तैयारियों को लेकर सोमवार को गृह मंत्रालय में उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें सभी राज्यों के मुख्य सचिवों, सिविल डिफेंस प्रमुखों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इसमें रणनीतियों की समीक्षा की गई और यह सुनिश्चित किया गया कि मॉक ड्रिल दौरान किसी भी तरह की चूक न हो।
दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर और लखनऊ जैसे शहरों में पुलिस, एसडीआरएफ और अन्य आपदा राहत टीमों को युद्धकालीन परिदृश्य में काम करने की ट्रेनिंग पहले ही दी जा चुकी है। वहीं, पंजाब के फिरोजपुर छावनी क्षेत्र में रविवार और सोमवार की रात ब्लैकआउट अभ्यास भी किया गया, जिसमें रात 9 बजे से 9:30 बजे तक बिजली पूरी तरह बंद रखी गई। यह अभ्यास इस बात का संकेत है कि सरकार किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सतर्क है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉक ड्रिल न केवल सेना और पुलिस बलों की प्रतिक्रिया क्षमताओं की जांच करेगी, बल्कि आम नागरिकों को भी ऐसे हालात से जूझने की मानसिक और शारीरिक तैयारी का मौका देगी। 1971 भारत-पाक युद्ध के दौरान देश में आखिरी बार इस स्तर की मॉक ड्रिल हुई थी। 50 साल बाद इतनी व्यापक स्तर पर किया जा रहा यह अभ्यास इस बात का संकेत है कि सुरक्षा को लेकर अब किसी भी स्तर पर जोखिम नहीं लिया जाएगा।