जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस की वापसी ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। राज्य में इस सीजन का पहला केस 23 मई को इंदौर में सामने आया और अब तक कुल 50 केस मिल चुके हैं। इनमें से 36 एक्टिव केस हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकतर मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री केरल, मुंबई, पुणे और बेंगलुरु जैसी जगहों से जुड़ी हुई है। यानी वायरस की एंट्री दक्षिण भारत से हुई और अब धीरे-धीरे यह स्थानीय स्तर पर फैल रहा है। सिर्फ पिछले दो दिनों में ही 17 नए मामले सामने आए हैं। वहीं देशभर में भी स्थिति गंभीर होती जा रही है — 16 मई को देश में 93 एक्टिव केस थे, जो अब बढ़कर 5,364 हो चुके हैं।
इस बीच कोरोना के चार नए वैरिएंट – LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 – सामने आए हैं। NB.1.8.1 में मौजूद स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन वायरस को न केवल तेजी से फैलने में मदद कर रहा है, बल्कि यह पहले से मौजूद इम्यूनिटी को भी धोखा दे सकता है। भारत में इस समय सबसे आम वैरिएंट JN.1 है, जो आधे से ज्यादा सैंपल्स में पाया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि केरल की तरह मध्यप्रदेश में भी गले में खराश, बुखार या वायरल लक्षण दिखते ही RT-PCR जांच शुरू की जाए, तो पॉजिटिव मामलों की संख्या कई गुना बढ़ सकती है। ENT विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय गले के संक्रमण वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिनमें से कई कोविड पॉजिटिव हो सकते हैं।
वहीं, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है कि जल्द ही सरकारी अस्पतालों में जांच शुरू की जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इलाज से लेकर ऑक्सीजन तक सभी तैयारियाँ की जा रही हैं और राज्य सरकार पूरी तरह सतर्क है।