जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद बीके हरिप्रसाद के एक विवादित बयान ने सियासी गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है। उन्होंने आरएसएस की तुलना तालिबान से की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यह आरोप लगाया कि वे लाल किले से स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान संघ की प्रशंसा कर रहे हैं। इस टिप्पणी पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कांग्रेस की विचारधारा को देशविरोधी करार दिया।
हरिप्रसाद ने कहा – “आरएसएस है भारतीय तालिबान”
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में हरिप्रसाद ने कहा कि आरएसएस देश में शांति भंग करने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा – “मैं आरएसएस की तुलना तालिबान से ही करूंगा। वे भारतीय तालिबान हैं और प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से उनकी सराहना कर रहे हैं।”
कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस का कोई योगदान नहीं रहा। उनके मुताबिक, “आजादी की लड़ाई में किसी संघी ने हिस्सा नहीं लिया। यह शर्म की बात है कि आरएसएस एक पंजीकृत संगठन भी नहीं है और यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें फंडिंग कहां से होती है।”
“इतिहास तोड़-मरोड़ कर पेश करती है बीजेपी और आरएसएस”
बीके हरिप्रसाद ने आगे कहा कि भाजपा और संघ इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने में माहिर हैं। उन्होंने बंगाल विभाजन के संदर्भ का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ए.के. फजलुल हक और जनसंघ विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पहला विभाजन प्रस्ताव पेश किया था।
उन्होंने यह भी कहा कि “जिन्ना और सावरकर दोनों ही धर्मों के लिए अलग-अलग राष्ट्र की वकालत कर रहे थे, लेकिन भाजपा इस जिम्मेदारी का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ती है।”
बीजेपी का पलटवार – “कांग्रेस की मानसिकता ही तालिबानी है”
हरिप्रसाद के बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस हमेशा राष्ट्रवादी संगठनों को गाली देती है और दूसरी ओर पीएफआई और सिमी जैसे कट्टरपंथी संगठनों से हमदर्दी जताती है।
पूनावाला ने कहा – “कांग्रेस की मानसिकता ही तालिबानी है। महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं ने भी आरएसएस की प्रशंसा की थी। यहां तक कि कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी आरएसएस मुख्यालय गए थे। अगर आरएसएस तालिबान है तो कांग्रेस इन महान नेताओं को क्या कहेगी?”
बीजेपी प्रवक्ता ने कांग्रेस पर यह आरोप भी लगाया कि “कांग्रेस को भारतीय सेना गुंडे नजर आती है, ऑपरेशन सिंदूर आत्मसमर्पण जैसा लगता है, और अब आरएसएस तालिबान दिख रहा है। दरअसल कांग्रेस हमेशा राष्ट्रवादी संगठनों पर हमला करती है, जबकि अदालतें भी कई बार उनकी सोच पर सवाल खड़े कर चुकी हैं।”
पीएम मोदी ने की थी आरएसएस की तारीफ
इस पूरे विवाद की पृष्ठभूमि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण है। अपने 12वें संबोधन में उन्होंने आरएसएस को उसकी शताब्दी पर बधाई दी और कहा – “100 वर्ष पहले एक संगठन का जन्म हुआ था – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। राष्ट्र सेवा के सौ वर्ष एक गौरवपूर्ण और स्वर्णिम अध्याय हैं। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की संकल्पना के साथ स्वयंसेवकों ने अपने जीवन को मातृभूमि के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया है। आरएसएस आज दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन है।”
बीके हरिप्रसाद के इस बयान ने निश्चित रूप से कांग्रेस और बीजेपी के बीच नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। जहां कांग्रेस नेता संघ को कट्टरपंथी करार दे रहे हैं, वहीं बीजेपी इसे देशभक्ति और राष्ट्रनिर्माण का प्रतीक मानती है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद और चुनावी राजनीति दोनों में बड़े विमर्श का कारण बन सकता है।