जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर पूरे देशभर में स्वच्छता अभियान को सेवा का उत्सव बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर के प्रसिद्ध एम.वाय. अस्पताल परिसर में स्वयं श्रमदान कर मिसाल पेश की। उनके साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि और नागरिक भी झाड़ू लेकर मैदान में उतरे। यह नजारा सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि “स्वच्छता ही सेवा” का सजीव संदेश था।
एम.वाय. अस्पताल में श्रमदान और साफ-सफाई पर फोकस
मुख्यमंत्री ने अस्पताल परिसर की सफाई में हाथ बँटाते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि एम.वाय. अस्पताल के अंदर और बाहर स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने आश्वासन दिया कि अस्पताल में विकास कार्यों के लिए प्रदेश सरकार हर संभव मदद करेगी। मौके पर उपस्थित नागरिकों को उन्होंने शपथ भी दिलाई—साल में 100 घंटे और सप्ताह में 2 घंटे स्वच्छता के लिए श्रमदान करने की। उनका संदेश साफ था: “न गंदगी करेंगे, न होने देंगे।”
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने नगर निगम इंदौर के ई-वेस्ट कलेक्शन वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और “स्वच्छता ही सेवा अभियान” का आधिकारिक लोगो भी लॉन्च किया।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि ई-वेस्ट आज के समय का सबसे खतरनाक अपशिष्ट है, जो यदि सही तरीके से निपटाया न जाए, तो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों पर भारी असर डाल सकता है। इसी वजह से नगर निगम ने 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक विशेष ई-वेस्ट संग्रहण अभियान की शुरुआत की है।
कैसे चलेगा ई-वेस्ट अभियान?
पहले चरण में निगम मुख्यालय और नेहरू पार्क स्थित स्मार्ट सिटी ऑफिस में ई-वेस्ट ड्रॉप बॉक्स लगाए गए हैं। यहाँ अधिकारी और कर्मचारी अपने घरों या दफ्तरों से निकलने वाले खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरण—जैसे मोबाइल, चार्जर, कंप्यूटर पार्ट्स, पंखे, बैटरियां, टीवी या रिमोट—जमा कर सकते हैं।
महापौर ने साफ किया कि यह सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं बल्कि लगातार चलने वाला अभियान होगा। अगले चरण में शहरभर में चिन्हित स्थानों पर ड्रॉप बॉक्स रखे जाएंगे और घर-घर से ई-वेस्ट कलेक्शन की व्यवस्था भी की जाएगी। नागरिकों से अपील की गई कि वे अपने पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सामान्य कचरे में न डालें, बल्कि इन्हें निर्धारित बॉक्स या कलेक्शन वाहनों में जमा करें।
बड़े नेताओं की मौजूदगी
इस अभियान की शुरुआत में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, सांसद शंकर लालवानी, विधायक मधु वर्मा और विधायक गोलू शुक्ला समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
क्यों खास है यह पहल?
इंदौर लगातार स्वच्छता सर्वेक्षण में देशभर में शीर्ष पर रहा है। लेकिन अब शहर सिर्फ साफ-सफाई तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि ई-वेस्ट जैसी गंभीर समस्या का समाधान कर “स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त शहर” की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का एम.वाय. अस्पताल से अभियान शुरू करना प्रतीकात्मक भी है—जहाँ स्वास्थ्य और स्वच्छता दोनों का सीधा संबंध है।