जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश का सड़क विकास किसी भी स्तर पर रुकना नहीं चाहिए और मध्यप्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में बनाए रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में प्रगतिरत राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की गहन समीक्षा की और लोक निर्माण विभाग, एनएचएआई व अन्य संबद्ध अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए कि सभी निर्माण कार्य तय समय-सीमा में ही पूरे किए जाएं—वो भी उच्च गुणवत्ता (परफॉर्मेंस गारंटी) के साथ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सड़कें केवल यातायात के साधन नहीं, बल्कि विकास की जीवनरेखा हैं। विशेषकर जिन राजमार्गों पर यातायात का भार अत्यधिक है, उन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में विकसित करना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए केंद्र सरकार के साथ समन्वय में किसी भी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि भू-अधिग्रहण के लंबित मामलों को आपसी संवाद और समझाइश के जरिए शीघ्र हल किया जाए ताकि किसी भी परियोजना में अनावश्यक विलंब न हो।
बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि वित्त वर्ष 2024-25 में मध्यप्रदेश को देशभर में सबसे अधिक फोर लेन राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं मंजूर हुई हैं—यह राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और केंद्र सरकार से मिली विशेष सौगात भी। मुख्यमंत्री ने उज्जैन शहर के लिए एक नई योजना का भी प्रस्ताव रखा, जिसके तहत बाबा महाकाल मंदिर और रेलवे स्टेशन के बीच एक एलिवेटेड रोड बनाने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। यह सड़क न केवल श्रद्धालुओं के आवागमन को सुगम बनाएगी, बल्कि शहर के यातायात प्रबंधन को भी सुदृढ़ करेगी।
बैठक में जानकारी दी गई कि 10 अप्रैल को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी बदनावर आएंगे। इस दौरान वे 218 किमी लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे, जिनकी लागत लगभग 3502 करोड़ रुपए है। साथ ही, 110 किमी की नई परियोजनाओं का भूमिपूजन भी किया जाएगा, जिनकी अनुमानित लागत 2330 करोड़ रुपए है। यह समारोह मध्यप्रदेश के बुनियादी ढांचे को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का प्रतीक होगा।
इस समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव को एनएचएआई के अधिकारियों द्वारा प्रदेश में प्रस्तावित 7 नई राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की जानकारी दी गई, जिनके प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे जा चुके हैं और मंजूरी की प्रतीक्षा में हैं। मुख्यमंत्री ने इन परियोजनाओं को अत्यंत आवश्यक बताते हुए स्वयं केंद्रीय मंत्री गडकरी से मिलकर इनकी स्वीकृति हेतु आग्रह करने का निर्णय लिया। प्रस्तावित परियोजनाओं में बदनावर-पेटलावद-थांदला फोर लेन सड़क (80 किमी, 1500 करोड़), पूर्वी इंदौर बायपास (77 किमी, 3500 करोड़), उज्जैन-झालावाड़ मार्ग (134 किमी, 2200 करोड़) शामिल हैं, जो विशेषकर 2028 में उज्जैन में प्रस्तावित सिंहस्थ मेले के मद्देनज़र महत्वपूर्ण हैं।
इसके अतिरिक्त, मिसरौद से औबेदुल्लागंज खंड (रा.रा.-46) का 6 लेन में विस्तार (19.32 किमी, 280 करोड़), ग्वालियर-भिण्ड से म.प्र/उ.प्र. सीमा तक (रा.रा.-719) का 4 लेन उन्नयन (96 किमी, 3125 करोड़), सतना-चित्रकूट खंड (रा.रा.-135 बीजी) का 4 लेन में निर्माण (80 किमी, 1500 करोड़) और लखनादौन से रायपुर तक 200 किमी लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (लागत 5985 करोड़) जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाएं भी प्राथमिकता में हैं। विशेष बात यह है कि लखनादौन-रायपुर एक्सप्रेसवे का प्रस्ताव जनजातीय क्षेत्रों से होते हुए गुजरने वाले एकरेखण (अलाइमेंट) पर आधारित है, जिससे इस क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।
बैठक में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने विस्तृत आंकड़ों के साथ जानकारी दी कि प्रदेश में वर्तमान में कुल 9664 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिनमें से 5428 किलोमीटर एनएचएआई के अधीन हैं, जबकि शेष 4236 किलोमीटर का रखरखाव लोक निर्माण विभाग और म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में केंद्र सरकार ने प्रदेश के लिए 3935 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। वहीं, बीते वर्ष के कार्यों के अंतर्गत 8 नई परियोजनाओं के लिए 3412 करोड़ रुपये के प्रस्ताव स्वीकृति की प्रक्रिया में हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रदेश के सड़क नेटवर्क को विस्तार देने की प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर ढिलाई नहीं बरती जाए। भू-अधिग्रहण, वन स्वीकृति और प्रशासनिक अनुमतियों जैसे मुद्दों को त्वरित समाधान के साथ निपटाया जाए ताकि निर्माण कार्य समयबद्ध तरीके से पूरे हों। उन्होंने कहा कि सड़कें केवल यात्रा का माध्यम नहीं, बल्कि रोजगार, पर्यटन, निवेश और सांस्कृतिक एकता की धुरी भी हैं।
बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, मुख्यमंत्री कार्यालय के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, लोक निर्माण के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई, म.प्र. सड़क विकास निगम के एमडी भरत यादव सहित एनएचएआई और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। यह बैठक केवल योजना की समीक्षा नहीं, बल्कि प्रदेश के भविष्य के इंफ्रास्ट्रक्चर का रोडमैप तय करने का महत्वपूर्ण अवसर बन गई।