जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संविधान निर्माता, भारत रत्न डॉ. अंबेडकर को ससम्मान नमन करते हुए उनके विचारों को आत्मगौरव का प्रतीक बताया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. अंबेडकर ने भारत की नींव समता, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय जैसे मूलभूत सिद्धांतों पर रखी, जो आज भी देश को विकसित और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निरंतर प्रेरित कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस ऐतिहासिक अवसर पर डॉ. अंबेडकर की जन्मस्थली महू, जिला इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने समाज के उत्थान में योगदान देने वाले अनेक व्यक्तियों को ‘भीम रत्न अवॉर्ड’ से सम्मानित किया और उन्हें शुभकामनाएं दीं। साथ ही उन्होंने डॉ. अनिल गजभिये और डॉ. सत्यवान मेश्राम द्वारा लिखित पुस्तक ‘संवैधानिक सामाजिक न्याय: एक चिंतन’ का विधिवत विमोचन भी किया। इसके अलावा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर जिले में आयोजित “संविधान का महाकुंभ” कार्यक्रम में सहभागिता कर उपस्थित नागरिकों को भारत की लोकतांत्रिक परंपरा और संविधान की गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुए पंथ निरपेक्ष राष्ट्र की एकता एवं अखंडता तथा लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाए रखने के लिए अपने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा तथा कर्तव्यों के निर्वहन की शपथ दिलाई।
डॉ. मोहन यादव ने कहा कि बाबा साहेब का सम्पूर्ण जीवन सामाजिक न्याय, समरसता और समान अधिकारों की स्थापना के लिए समर्पित रहा। उनकी प्रेरणादायी विचारधारा आज भी हर वर्ग विशेषकर वंचित और शोषित समाज के लिए आशा की किरण है। मुख्यमंत्री ने यह भी दोहराया कि प्रदेश सरकार सर्वहारा वर्ग के कल्याण और समाज के हर अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने डॉ. अंबेडकर के जीवन और संघर्ष को याद करते हुए उन्हें 20वीं शताब्दी का महान क्रांतिकारी बताया, जिन्होंने भारत की 1000 वर्षों की गुलामी से उपजी सामाजिक विषमताओं को समाप्त करने का बीड़ा उठाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने जो कार्य किए, वे ‘भूतो न भविष्यति’ की मिसाल हैं। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। शिक्षा को सर्वोपरि मानते हुए उन्होंने खुद को इतना सक्षम बनाया कि उनके ज्ञान और दृष्टिकोण ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाने की नींव रखी। डॉ. अंबेडकर के प्रयासों से ही आज अनुसूचित जाति और जनजातियों में शिक्षा की जागरूकता आई है। एक समय 1.5 प्रतिशत साक्षरता दर वाला समुदाय आज 59 प्रतिशत तक साक्षर हो चुका है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. अंबेडकर से जुड़े पांच महत्वपूर्ण स्थलों को ‘पंचतीर्थ’ का दर्जा देकर उन्हें वैश्विक स्तर पर सम्मानित किया है। महू में स्थित भीम जन्मभूमि को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा और श्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका को भी उन्होंने रेखांकित किया। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि राज्य सरकार महू में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 3.5 एकड़ भूमि पर धर्मशाला निर्माण कराएगी। इसके अलावा, अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोगों को सशक्त बनाने हेतु ‘डॉ. अंबेडकर कामधेनु योजना’ के तहत डेयरी खोलने पर 30 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने भीम जन्मस्थली महू से दिल्ली के बीच नई रेल सेवा शुरू की है, जिससे कोटा, इंदौर, उज्जैन और देवास जैसे क्षेत्रों को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने लंदन स्थित डॉ. अंबेडकर के स्मारक का उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्मारक प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयासों से संभव हो पाया, भले ही वहां के स्थानीय लोग इसके विरोध में थे।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख विचारक मुकुल कानिटकर ने डॉ. अंबेडकर की वैश्विक स्तर पर शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में की गई उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि डॉ. अंबेडकर ने केवल 27 वर्ष की उम्र में कोलंबिया विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स की डिग्री प्राप्त की और उस समय विश्व में सर्वाधिक डिग्रियों के धारक बने। कोलंबिया विश्वविद्यालय में केवल एक ही प्रतिमा है – और वह बाबा साहेब अंबेडकर की है।