जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एक बार फिर कलेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं और उन्हें सीधे-सीधे “बीजेपी का गुलाम” बताते हुए निशाना साधा है।
धार में दिया विवादित बयान
गुरुवार को धार में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष स्वतंत्र जोशी के पदभार ग्रहण समारोह को संबोधित करते हुए उमंग सिंघार ने कहा कि “छिंदवाड़ा कलेक्टर इतना डरपोक है कि भाजपा का गुलाम बन गया है। अगर गुलाम ही रहना है तो आरएसएस की चड्डी पहन ले।”
सिंघार ने आगे कहा कि जब कोई अधिकारी नौकरी जॉइन करता है तो उसे जनता का सेवक माना जाता है, लेकिन मौजूदा हालात में अधिकारी भाजपा के नौकर की तरह काम कर रहे हैं।
‘कुत्ते को कलेक्टर बनाकर दिया ज्ञापन’
यह विवाद दरअसल दो दिन पहले छिंदवाड़ा में हुए कांग्रेस के आंदोलन से जुड़ा है। पूर्व सांसद नकुल नाथ, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार किसानों की खाद संकट समेत अन्य समस्याओं को लेकर कलेक्टर कार्यालय पर प्रदर्शन करने पहुंचे थे।
कांग्रेस नेताओं ने कलेक्टर को ज्ञापन देने की मांग की, लेकिन जब कलेक्टर बाहर नहीं आए तो नाराज उमंग सिंघार ने प्रदर्शन के दौरान एक कुत्ते को बुलाया और उसके गले में ज्ञापन बांधकर ‘कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने’ की प्रतीकात्मक कार्रवाई की। यह घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई और सियासी बहस का बड़ा मुद्दा बन गई।
अपने बयान में सिंघार ने यह भी कहा कि जब उन्होंने कलेक्टर से मिलने की चेतावनी दी थी और वे बाहर नहीं आए, तो मजबूरी में उन्होंने यह प्रतीकात्मक कदम उठाया। सिंघार ने कहा – “जो कलेक्टर और आईएएस पार्टीबाजी करेंगे, उन्हें भी समझना होगा कि सत्ता बदलते देर नहीं लगती। और अगर वे दादागिरी करेंगे, तो कांग्रेस भी दिखा देगी कि ‘राम नाम सत्य’ क्या होता है।”
कलेक्टर की सफाई
छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह से जब इस पूरे मामले पर मीडिया ने प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उनका कहना था – “मैं राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं। इस विषय पर मैं कुछ नहीं कहूंगा।”
क्यों भड़की कांग्रेस?
दरअसल, कांग्रेस का आरोप है कि छिंदवाड़ा में किसानों को खाद संकट का सामना करना पड़ रहा है और प्रशासन उनकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रहा। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से ज्ञापन देना चाहते थे, लेकिन कलेक्टर ने मिलने से इनकार कर दिया और पुलिस ने उन्हें गेट पर ही रोक लिया। इसी बात से कांग्रेस नेताओं का गुस्सा भड़क उठा और मामला तूल पकड़ गया।