जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत-पाकिस्तान के बीच लगातार बने हुए तनाव और हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने एक बेहद महत्वपूर्ण और रणनीतिक फैसला लिया है। बुधवार, 30 अप्रैल को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का पुनर्गठन करते हुए उसमें बड़े बदलाव किए हैं। इस नए सात सदस्यीय बोर्ड की कमान अब देश की खुफिया एजेंसी RAW के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को सौंपी गई है। यह नियुक्ति न सिर्फ देश की सुरक्षा रणनीति को नया दृष्टिकोण देगी, बल्कि आने वाले समय में पाकिस्तान और आतंकवाद को लेकर भारत की नीति को और आक्रामक और ठोस बना सकती है।
बोर्ड में इस बार जो चेहरे जोड़े गए हैं, वे देश की सशस्त्र सेनाओं, पुलिस सेवा और कूटनीतिक क्षेत्र के सबसे अनुभवी अधिकारियों में गिने जाते हैं। इस नए स्वरूप में तीन सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों — एयर मार्शल पीएम सिन्हा (पूर्व पश्चिमी वायु कमांडर), लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह (पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर) और रियर एडमिरल मोंटी खन्ना (नौसेना अधिकारी) को शामिल किया गया है।
इसके अलावा भारतीय पुलिस सेवा (IPS) से दो वरिष्ठ अधिकारी — राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह तथा भारतीय विदेश सेवा (IFS) से बी. वेंकटेश वर्मा को भी इस बोर्ड में जगह दी गई है।
इस बोर्ड का पुनर्गठन ऐसे समय पर हुआ है, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है और भारत-पाक रिश्तों में फिर से तल्खी बढ़ गई है। ऐसे में सरकार की इस नई रणनीति को आतंकवाद के खिलाफ एक आक्रामक और ठोस नीति के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
NSAB का कार्य सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के नेतृत्व वाली प्रणाली को सहयोग और रणनीतिक सुझाव देना है। इसके सदस्य नीतिगत निर्णयों में अहम भूमिका निभाते हैं, खासकर जब मामला देश की आतंरिक और बाहरी सुरक्षा का हो। यह पुनर्गठन बताता है कि केंद्र सरकार अब भारत की सुरक्षा व्यवस्था को और भी मजबूत करने के लिए अनुभवी और जमीनी स्तर पर काम कर चुके अधिकारियों पर भरोसा जता रही है। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में भारत आतंकवाद और सीमा पार से हो रही गतिविधियों के खिलाफ और सख्त रुख अपनाने की तैयारी में है।