मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक: उज्जैन बनेगा भारत का काल गणना केंद्र, ओंकारेश्वर में बनेगी 26वीं वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी; CM ने भीषण ओलावृष्टि से तबाह हुए 400 गांव के किसानों को सहायता देने के दिए निर्देश

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट बैठक आयोजित की गई, जिसमें राज्य के औद्योगिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। मुख्यमंत्री ने बैठक की शुरुआत में कहा कि निवेश प्रस्तावों को धरातल पर मूर्त रूप देने की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं और प्रदेश में औद्योगिक विकास की गति को और तेज किया जाएगा।

प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए नए औद्योगिक क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बैठक में जानकारी दी कि प्रदेश में निवेश को गति देने के लिए 21 मार्च को ग्वालियर संभाग में 18 औद्योगिक इकाइयों का भूमि पूजन किया गया था। जिनमें 11 इकाइयां मुरैना, 7 ग्वालियर और 1 इकाई भिंड में स्थापित की जा रही है। अब अगला चरण उज्जैन संभाग में होगा, जहां कुल 25 नई औद्योगिक इकाइयों का भूमि पूजन किया जाएगा। जिनमें उज्जैन में 13 इकाइयां और  संभाग के अन्य जिलों में – 12 इकाइयां स्थापित की जा रही है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रक्रिया संभागवार निरंतर जारी रहेगी, जिससे प्रदेश में निवेश के नए द्वार खुलेंगे और हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने किया “विक्रमादित्य ध्वज” और “भारत का नव वर्ष विक्रम संवत” पुस्तिका का विमोचन

कैबिनेट बैठक से पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में “विक्रमादित्य ध्वज” और “भारत का नव वर्ष विक्रम संवत” पुस्तिका का विमोचन किया।इस अवसर पर उन्होंने मंत्रियों से आग्रह किया कि वे 30 मार्च को पूरे प्रदेश में हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले गुड़ी पड़वा महोत्सव में शामिल हों।

मुख्यमंत्री ने इस विमोचित पुस्तिका के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि इसमें विक्रम संवत, भारतीय काल गणना की पद्धति, प्राचीन यंत्रों, वैदिक घड़ी और भारतीय समय गणना प्रणाली पर विस्तृत जानकारी दी गई है। इस पुस्तिका के माध्यम से लोगों को भारतीय संस्कृति और इतिहास से अवगत कराने का प्रयास किया गया है।

बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि राज्य सरकार पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण को प्राथमिकता दे रही है। इसी क्रम में दो अभयारण्यों के मूर्त रूप लेने के बाद सरकार अब प्रदेश में नई वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके तहत ओंकारेश्वर में 614 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में प्रदेश की 26वीं वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी विकसित की जा रही है। इस क्षेत्र की खास विशेषता यह है कि इसमें कोई गांव या मानव बसाहट नहीं है, जिससे यहाँ वन्यजीवों को सुरक्षित और स्वाभाविक वातावरण मिलेगा। सरकार की योजना इस क्षेत्र को भविष्य में टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की भी है, जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की जा सकेगी।

विक्रम महोत्सव: सम्राट विक्रमादित्य की गाथा को जीवंत बनाने की पहल

कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री ने विक्रम महोत्सव के आयोजन की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि 12, 13 और 14 अप्रैल को नई दिल्ली में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें सम्राट विक्रमादित्य पर केंद्रित महानाट्य की प्रस्तुति भी दी जाएगी। यह आयोजन भारतीय संस्कृति, इतिहास और गौरवशाली परंपराओं के प्रति जनसाधारण की जागरूकता को बढ़ाने का कार्य करेगा।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह महानाट्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में भी प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग सम्राट विक्रमादित्य के व्यक्तित्व और उनकी शासन प्रणाली को जान सकें। इसके साथ ही, राज्य सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली इन्वेस्टर समिट और अन्य बड़े आयोजनों में भी इस महानाट्य का मंचन किया जाएगा, जिससे सांस्कृतिक धरोहर को आर्थिक और औद्योगिक विकास से जोड़ा जा सके।

इसके अलावा कैबिनेट बैठक में एक और ऐतिहासिक निर्णय लिया गया कि उज्जैन को काल गणना का प्रमुख केंद्र बनाया जाएगा। उज्जैन प्राचीन काल से खगोलशास्त्र और समय गणना के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहां की गणितीय सटीकता का कोई मुकाबला नहीं। इसे देखते हुए सरकार उज्जैन को आधिकारिक रूप से काल गणना का केंद्र घोषित करने जा रही है, जिससे भारतीय समय गणना की परंपरा को पुनर्जीवित किया जा सके।

मध्यप्रदेश में हाल ही में हुई भीषण ओलावृष्टि ने 400 से अधिक गांवों में कहर बरपाया है। किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया, खेतों में लहलहाती फसलें बर्बाद हो गईं। इस संकट की घड़ी में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्काल अधिकारियों को सर्वेक्षण करने और प्रभावित किसानों को राहत राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने साफ कहा कि किसी भी किसान को इस आपदा में अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। सरकार पूरी तत्परता से उनके नुकसान की भरपाई करेगी और जल्द से जल्द उन्हें मुआवजा दिया जाएगा, ताकि वे फिर से अपनी खेती को संभाल सकें।

कैबिनेट बैठक में प्रदेश के ऊर्जा भविष्य को लेकर भी ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। यह तय किया गया कि प्रदेश में चार स्थानों पर विशाल सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे नगर निगमों और नगर पालिकाओं के बिजली खर्च में भारी कमी आएगी। यही नहीं, जल आपूर्ति योजनाओं को भी सौर ऊर्जा से जोड़ा जाएगा, जिससे पानी की उपलब्धता अधिक सुचारू और सस्ती हो सके। यह निर्णय प्रदेश को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प को और मजबूती देगा।

जल संकट से निपटने की तैयारी: पशु-पक्षियों के लिए भी निर्देश

गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी की किल्लत की समस्या बढ़ जाती है। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी कलेक्टरों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जल संकट से निपटने की तैयारी अभी से शुरू की जाए। पानी की उपलब्धता केवल इंसानों तक सीमित न रहे, बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी पर्याप्त जल स्रोतों की व्यवस्था की जाए। टैंकरों से जल आपूर्ति, जलाशयों की सफाई और अन्य उपायों पर अभी से काम करने की आवश्यकता है, ताकि प्रदेश में किसी भी क्षेत्र में जल संकट गहराने न पाए।

कैबिनेट बैठक के मुख्य निर्णय:

✅ उज्जैन को काल गणना का प्रमुख केंद्र बनाया जाएगा।
✅ प्रदेश में गुड़ी पड़वा को नववर्ष उत्सव के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें सभी मंत्री अपने जिलों में हिस्सा लेंगे।
✅ ओलावृष्टि से प्रभावित 400 से अधिक गांवों में फसल नुकसान का सर्वे कर किसानों को राहत राशि प्रदान की जाएगी।
✅ खजुराहो में ओबेरॉय ग्रुप को 19 एकड़ भूमि वेलनेस सेंटर के लिए दी जाएगी।
✅ प्रदेश में चार विशाल सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे नगर निकायों और जल आपूर्ति की बिजली लागत कम होगी।
✅ ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत भिंड-चंबल क्षेत्र में 18 एमओयू साइन किए गए, जिससे ग्वालियर सहित अन्य क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयां स्थापित होंगी।
✅ गर्मी में जल संकट से निपटने के लिए सभी जिलों में टैंकरों से जल आपूर्ति और पशु-पक्षियों के लिए जल प्रबंध के निर्देश।

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