जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
IPL 2025 के दौरान टिकटों को लेकर हुए एक बड़े घोटाले ने क्रिकेट जगत को हिला दिया है। हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (HCA) के अध्यक्ष ए. जगन मोहन राव को तेलंगाना अपराध जांच विभाग (CID) ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया है। उनके साथ-साथ चार अन्य वरिष्ठ अधिकारियों—HCA कोषाध्यक्ष सी. श्रीनिवास राव, CEO सुनील कांते, महासचिव राजेंद्र यादव और राव की पत्नी जी. कविता को भी हिरासत में लिया गया है। इन पर IPL फ्रेंचाइज़ी सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) को टिकटों के लिए ब्लैकमेल करने और नियमों की अनदेखी करने जैसे गंभीर आरोप हैं।
कैसे फूटा यह मामला?
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब तेलंगाना क्रिकेट एसोसिएशन (TCA) के महासचिव धर्म गुरव रेड्डी ने 9 जून को एक विस्तृत शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में आरोप लगाया गया कि HCA अधिकारियों ने न सिर्फ टिकट वितरण में घपले किए, बल्कि चुनाव के लिए फर्जी दस्तावेज भी जमा किए थे। CID ने त्वरित कार्रवाई करते हुए IPC की कई धाराओं—465 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी), 471 (फर्जी दस्तावेज का प्रयोग), 403 (धोखे से संपत्ति रखना), 409 (विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी)—के तहत केस दर्ज किया है।
BCCI के नियमों के मुताबिक, किसी भी IPL टीम को उसके घरेलू राज्य के स्टेडियम में 10% टिकट फ्री मिलते हैं। SRH और HCA के बीच हुए समझौते के अनुसार HCA को केवल 3,900 फ्री टिकट मिलते हैं, जो स्टेडियम की कुल क्षमता का 10% है। लेकिन आरोप है कि HCA अधिकारियों ने SRH पर अतिरिक्त 10% यानी 3,900 और टिकटों के लिए दबाव डाला।
SRH का कहना है कि 27 मार्च को लखनऊ सुपरजायंट्स के खिलाफ मैच से कुछ घंटे पहले HCA अध्यक्ष ने एक कॉरपोरेट बॉक्स को जबरन लॉक कर दिया और 20 अतिरिक्त टिकट देने की मांग की। यह सीधे तौर पर BCCI के दिशानिर्देशों और दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन था।
जब हालात हाथ से बाहर निकलने लगे तो SRH ने IPL गवर्निंग काउंसिल और BCCI को लिखित शिकायत भेज दी। टीम ने साफ तौर पर कहा कि अगर HCA का यह रवैया नहीं बदला गया, तो वे मजबूर होकर अपने घरेलू मैच किसी अन्य राज्य में खेलने का फैसला कर सकते हैं। इससे हैदराबाद को IPL आयोजन से बड़ा झटका लग सकता था।
तनाव को कम करने के लिए HCA के सचिव आर. देवराज ने SRH टीम मैनेजर से बैठक की और समझौता हुआ कि HCA को केवल वही 3,900 टिकट मिलेंगे, जो पहले से तय हैं। दोनों पक्षों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि वे भविष्य में एक साथ मिलकर पेशेवर तरीके से काम करेंगे ताकि दर्शकों को बेहतर अनुभव दिया जा सके।
क्या है आगे की राह?
इस मामले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि क्रिकेट प्रशासन में पारदर्शिता की कितनी ज़रूरत है। HCA के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ इतनी गंभीर धाराओं में केस दर्ज होना, न सिर्फ राज्य की छवि बल्कि BCCI की कार्यशैली पर भी सवाल उठाता है। CID की जांच अब इस बात पर केंद्रित होगी कि और कितने अधिकारियों ने इस घोटाले में भूमिका निभाई और क्या इसमें किसी बड़े राजनीतिक संरक्षण की भूमिका थी।
अब जब IPL जैसे मेगा इवेंट की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है, देखना होगा कि BCCI और संबंधित राज्य संघ आगे इस पर क्या सख्त कदम उठाते हैं। क्योंकि क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, देश का जुनून है—और उसमें भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।