जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी में बहुत जल्द बड़ा बदलाव होने जा रहा है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की जगह अब बीजेपी को दो जुलाई को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। इसके लिए पूरी चुनावी प्रक्रिया तय हो चुकी है। एक जुलाई को नामांकन होंगे और दो जुलाई को भोपाल में भाजपा की वृहद कार्यसमिति की बैठक में नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान होगा। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी केंद्रीय मंत्री और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान खुद करेंगे, जो एक जुलाई को भोपाल पहुंचने वाले हैं।
मप्र भाजपा अध्यक्ष के लिए इस बार जातीय समीकरण, आगामी विधानसभा चुनाव, महिला नेतृत्व और संघ की पसंद सभी को ध्यान में रखकर मंथन किया जा रहा है। आदिवासी वर्ग के नेताओं में बैतूल से सांसद और केंद्र में राज्यमंत्री दुर्गादास उईके का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। मप्र की करीब 22 फीसदी आबादी आदिवासी है, जिनमें अकेले 13 फीसदी गोंड समाज है। उईके इसी समाज से आते हैं और संघ की विचारधारा के पुराने अनुयायी रहे हैं। राजनीति में आने से पहले वे सरकारी शिक्षक थे और एक लेखक भी हैं। उन्होंने करीब दर्जनभर किताबें लिखी हैं। उनकी किताब ‘स्व से संवाद’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा था और बैतूल में एक चुनावी सभा में इसका उल्लेख कर उनकी तारीफ की थी।
बीजेपी में मंथन इस बात पर भी चल रहा है कि मध्यप्रदेश पार्टी की संगठनात्मक प्रयोगशाला माना जाता है, यहाँ पार्टी हर नया प्रयोग करती है और अक्सर उसे सफलता भी मिलती है। ऐसे में 2028 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए, जिसमें नया परिसीमन और महिला आरक्षण लागू होगा, पार्टी महिला नेता को भी प्रदेश की कमान देने पर विचार कर रही है। वहीं पार्टी गुजरात मॉडल की भी चर्चा कर रही है जहाँ सीआर पाटिल एक साथ केंद्रीय मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों हैं। इसी तर्ज पर एमपी में दुर्गादास उईके को भी दोहरी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में वर्गवार समीकरण भी दिलचस्प हैं।
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ब्राह्मण वर्ग से: पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल और विधायक रामेश्वर शर्मा के नाम हैं।
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वैश्य समाज से: विधायक हेमंत खंडेलवाल और मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता चर्चा में हैं।
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क्षत्रिय वर्ग से: पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया और विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह।
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अनुसूचित जाति से: विधायक प्रदीप लारिया, एससी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य और प्रदेश महामंत्री हरिशंकर खटीक।
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अनुसूचित जनजाति से: खरगोन सांसद गजेन्द्र सिंह पटेल, केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उईके, पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी।
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इसके अलावा सिंधी समाज से विधायक भगवानदास सबनानी के नाम पर भी मंथन चल रहा है ताकि पाकिस्तान से आए सिंधी शरणार्थियों के बड़े वोट बैंक को साधा जा सके।
इस बीच बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की राष्ट्रीय कवायद भी तेज कर दी है। अब तक 14 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो चुकी है। महाराष्ट्र में किरन रिजिजू, उत्तराखंड में हर्ष मल्होत्रा और पश्चिम बंगाल में रविशंकर प्रसाद को चुनाव अधिकारी बनाया गया है। एमपी समेत यूपी, गुजरात, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तराखंड में भी प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव अभी बाकी हैं। 19 राज्यों में ये चुनाव निपटने के बाद बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करेगी।
इस तरह मध्यप्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस कई स्तर पर दिलचस्प हो गई है—जहाँ एक तरफ जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का गणित है, वहीं दूसरी ओर संगठन और संघ की पसंद भी बेहद अहम है। अब देखना होगा कि दो जुलाई को बीजेपी किस चेहरे पर दांव लगाती है।