जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों में हुए बड़े फर्जीवाड़े और परीक्षाओं में बार-बार हो रही देरी पर आखिरकार हाईकोर्ट ने सख्त कदम उठाया है। हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच ने स्पष्ट आदेश दिया है कि 2022-23 सत्र की लंबित परीक्षा अब हर हाल में 28 और 29 अप्रैल को आयोजित की जाएगी। गौरतलब है कि यह परीक्षा पहले चार बार स्थगित की जा चुकी थी—दो बार मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी और दो बार एमपी नर्सिंग काउंसिल द्वारा। इस आदेश से प्रदेश भर के लगभग 200 डिग्री और 400 से ज्यादा डिप्लोमा कॉलेजों के 50 हजार से अधिक छात्रों को बड़ी राहत मिली है, जो सालों से अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता झेल रहे थे। कोर्ट ने दो टूक कहा कि अब परीक्षा की तारीख में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा। इससे पहले 2020-21 और 2021-22 सत्रों की परीक्षाएं भी समय पर नहीं हो पाई थीं और भारी देरी से 2024 में कराई गई थीं। अब 2022-23 सत्र की परीक्षा भी एक साल से अधिक विलंब के बाद कराई जा रही है।
इतना ही नहीं, कोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया से जुड़ी उच्चस्तरीय कमेटी को भी भंग कर दिया है। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली यह कमेटी अब किसी भी कॉलेज के मामले की जांच नहीं करेगी। अब सीधे एमपी नर्सिंग काउंसिल मान्यता से संबंधित सभी मामलों को देखेगी और अंतिम निर्णय लेगी। गौरतलब है कि राज्य में चल रहे फर्जी कॉलेजों के खिलाफ दायर जनहित याचिका के तहत हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराई गई थी, जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि 700 में से सिर्फ 200 कॉलेज ही मापदंडों पर खरे उतरे थे, जबकि बाकी कॉलेज फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर अवैध रूप से मान्यता प्राप्त कर संचालन कर रहे थे।
इस गंभीर फर्जीवाड़े के बावजूद अब तक जिम्मेदार अधिकारियों और संस्थानों पर कार्रवाई का अंतिम फैसला लंबित है। इस बीच, परीक्षा बार-बार टलने से हजारों छात्रों का मानसिक, शैक्षणिक और आर्थिक नुकसान हो चुका है। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से अपर महाधिवक्ता अभिजीत अवस्थी, याचिकाकर्ता विशाल बघेल और उनके अधिवक्ता आलोक वाग्रेचा मौजूद रहे। हाईकोर्ट का ताजा फैसला छात्रों के लिए आशा की किरण बनकर आया है। अब 50 हजार से अधिक छात्रों के भविष्य पर मंडरा रहे अनिश्चितता के बादल छंटने की उम्मीद है। इस निर्णय ने साफ संदेश दिया है कि शिक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा और छात्रों के हित सर्वोपरि रहेंगे।