जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत सरकार ने 1 फरवरी 2025 से जूनियर एथलीटों को दिए जाने वाले नकद पुरस्कार को खत्म कर दिया है। इस नीति बदलाव का उद्देश्य डोपिंग और एज फ्रॉड जैसी बढ़ती समस्याओं को रोकना और युवा खिलाड़ियों में जीत की भूख को बनाए रखना है।
- क्या था पहले का सिस्टम?
✅ जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने पर 13 लाख रुपए का इनाम मिलता था।
✅ एशियन या कॉमनवेल्थ गेम्स में टॉप पोजीशन पर 5 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाता था।
✅ अब मंत्रालय ने जूनियर स्तर को सिर्फ पोडियम फिनिश तक सीमित रखने की बजाय इसे एक विकास प्लेटफॉर्म के रूप में बढ़ावा देने का फैसला किया है।
- सरकार ने क्यों लिया यह फैसला?
खेल मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, भारत ही अकेला देश था जो जूनियर इवेंट्स को इतनी तवज्जो देता था। इसका नतीजा ये हुआ कि एथलीट इसी स्तर पर इतना झोंक देते थे कि सीनियर लेवल पर उनकी प्रतिस्पर्धा की इच्छा खत्म हो जाती थी। साथ ही इससे डोपिंग और उम्र धोखाधड़ी बढ़ रही थी। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 के बाद से पकड़े गए 204 डोप अपराधियों में 22 नाबालिग थे।
- सीनियर खिलाड़ियों के लिए भी बड़ा बदलाव!
✅ राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप और साउथ एशियाई खेलों को पुरस्कार सूची से हटा दिया गया।
✅ शतरंज में इंटरनेशनल मास्टर या ग्रैंडमास्टर बनने पर अब कोई पुरस्कार नहीं मिलेगा।
✅ अब ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप में हर मेडल विजेता के साथ-साथ उनके कोच और ट्रेनिंग अकादमी को भी इनाम मिलेगा।
✅ पहले एथलीट के परिवार (पति, पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन) को पुरस्कार नहीं मिलता था, लेकिन अब यह शर्त हटा दी गई है।