मध्यप्रदेश कांग्रेस में बड़ा बदलाव: अब 45 साल से कम उम्र के नेता ही बन सकेंगे जिलाध्यक्ष, पार्टी ने तय की नई गाइडलाइन!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की बयार बह रही है। पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि अब कांग्रेस जिलाध्यक्षों के चयन में उम्र और अनुभव दोनों को खास तवज्जो दी जाएगी। रविवार को कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने एक अहम वर्चुअल मीटिंग में साफ कहा कि पार्टी का लक्ष्य युवा नेतृत्व को आगे लाना है। इसलिए जिला अध्यक्ष पद के लिए बनाए जाने वाले पैनल में 35 से 45 वर्ष की उम्र के नेताओं को ही प्राथमिकता दी जाएगी।

प्रदेश कांग्रेस की इस बैठक में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, और प्रदेशभर के 165 पीसीसी ऑब्जर्वर शामिल हुए। वर्चुअल मीटिंग के दौरान संगठन सृजन अभियान की रूपरेखा साझा की गई और प्रत्येक ऑब्जर्वर को यह निर्देश दिया गया कि वे अपने आवंटित जिलों में जाकर पार्टी की स्थिति का गहन विश्लेषण करें।

जमीनी फीडबैक के आधार पर बनेगा पैनल

प्रदेश प्रभारी ने बताया कि हर जिले में ब्लॉक और जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक आयोजित कर 6 नामों का पैनल तैयार किया जाएगा। इसमें एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिला वर्ग का प्रतिनिधित्व अनिवार्य होगा। बाकी दो नाम अन्य मजबूत कार्यकर्ताओं के हो सकते हैं। चौधरी ने यह भी कहा कि नए जिलाध्यक्ष तकनीक-प्रेमी, सोशल मीडिया पर सक्रिय और विचारधारा से जुड़े कर्मठ कार्यकर्ता होने चाहिए। हालांकि, यदि कोई वरिष्ठ और अनुभवशील नेता दावेदारी करता है, तो विशेष परिस्थिति में उसे भी पैनल में शामिल किया जा सकता है।

नए उम्मीदवारों के लिए सख्त मापदंड

बैठक में जब कुछ पर्यवेक्षकों ने पूछा कि यदि कोई नेता हाल ही में पार्टी में शामिल हुआ है, लेकिन सक्रिय और योग्य है, तो क्या उसे पैनल में रखा जा सकता है? इस पर प्रदेश प्रभारी ने साफ कहा कि जिला अध्यक्ष बनने के लिए कम से कम 5 साल से पार्टी से जुड़ा हुआ होना जरूरी है। इसके साथ ही यदि किसी नेता पर पिछले चुनावों में भितरघात या अनुशासनहीनता के आरोप सिद्ध हुए हैं, तो ऐसे लोगों को पैनल से बाहर रखा जाएगा।

जातिगत डेटा और रिपोर्टिंग प्रणाली होगी अहम

राहुल गांधी के साथ 3 जून को हुई बैठक के बाद हर ऑब्जर्वर को उनके जिले का जातिगत और सामाजिक आंकड़ों का विस्तृत फोल्डर सौंपा गया है। इससे यह तय किया जाएगा कि कौन सा वर्ग जिले में निर्णायक भूमिका निभाता है और कौन-सा प्रतिनिधित्व अपेक्षित है। हर जिले से लौटने के बाद पर्यवेक्षक एक सीक्रेट रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसमें जिले में कांग्रेस की स्थिति, पिछले चुनावों के प्रदर्शन, संगठन की ताकत और कमजोरियों के साथ-साथ प्रस्तावित नामों की सिफारिश की जाएगी। यह रिपोर्ट सीधे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल तक भेजी जाएगी।

 सख्त निर्देश: स्थानीय नेताओं की मेहमाननवाजी न लें

हरीश चौधरी ने ऑब्जर्वरों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे किसी भी स्थानीय नेता के घर या होटल में न रुकें और ना ही उनके साथ सार्वजनिक दौरे करें। उन्होंने कहा कि पूरी व्यवस्था एआईसीसी द्वारा तय की गई है और किसी भी तरह की मेहमाननवाजी स्वीकार करना अनुशासनहीनता मानी जाएगी।

 10 जून से 30 जून तक चलेगा दौरा, सुझाव लिखित में देना होगा

बैठक में कुछ ऑब्जर्वरों ने यह चिंता जताई कि यदि उनके जिले में दौरे की तारीख उनके खुद के जिले की बैठक से टकरा जाए, तो वे सुझाव कैसे देंगे? इस पर चौधरी ने कहा कि अपने गृह जिले के लिए ऑब्जर्वर सुझाव लिखित में दे सकते हैं, जिसे मान्य माना जाएगा।

 यूथ कांग्रेस के चुनावों पर भी उठा सवाल

कई पर्यवेक्षकों ने यह मांग की कि जब संगठन सृजन अभियान चल रहा है, तो यूथ कांग्रेस के चुनावों को फिलहाल टाल देना चाहिए। इस पर प्रदेश प्रभारी ने कहा कि यह निर्णय पार्टी के चुनाव आयोग और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष से बातचीत के बाद लिया जाएगा।

  कमलेश्वर पटेल ने जताई असहमति, मिला जवाब

मीटिंग के अंत में वरिष्ठ नेता और सीडब्ल्यूसी सदस्य कमलेश्वर पटेल ने यह सवाल उठाया कि पीसीसी ऑब्जर्वरों के जिलों के आवंटन में पक्षपात हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ खास लोगों को ही पसंद के जिले दिए गए हैं। इस पर हरीश चौधरी ने जवाब दिया कि सूची एआईसीसी द्वारा बनाई गई है और यदि किसी को आपत्ति है, तो वे व्यक्तिगत तौर पर बात कर सकते हैं। लेकिन सभी को निष्पक्ष और ईमानदारी से काम करना है।

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