जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
अहमदाबाद प्लेन हादसे को एक महीना बीत चुका है, लेकिन उसकी गूंज अब भी देश-विदेश के एविएशन विशेषज्ञों के बीच गूंज रही है। 12 जुलाई को इस भयावह दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आई, जिसने सभी को चौंका दिया। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की 15 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक, इस क्रैश की सबसे बड़ी वजह विमान के दोनों इंजनों का अचानक बंद हो जाना था—वह भी टेकऑफ के तुरंत बाद। और ये कोई सामान्य तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि एक ऐसी घटना है, जो ‘मानवीय हस्तक्षेप’ की ओर इशारा करती है।
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में दर्ज बातचीत से यह और भी रहस्यमयी हो गया जब एक पायलट ने दूसरे से पूछा—”क्या तुमने फ्यूल स्विच बंद किया?” और जवाब मिला—”मैंने नहीं किया!” यह वाक्य केवल एक संवाद नहीं, बल्कि कई सवालों का बीज है। एविएशन एक्सपर्ट्स की मानें तो बोइंग 787 जैसे हाई-टेक ड्रीमलाइनर में फ्यूल सप्लाई को ऑटोमेटिक तरीके से बंद करना संभव नहीं है। फ्यूल स्विच को मैनुअली ही बंद किया जा सकता है, और वह भी तीन चरणों की प्रक्रिया से—डिटेंट से बाहर निकालना, पकड़ना और फिर मूव करना। यानी कोई गलती से इन्हें छू भी ले, तब भी बंद नहीं कर सकता।
एक मीडिया संस्थान से बातचीत में एविएशन एक्सपर्ट कैप्टन मोहन रंगनाथन ने सीधे तौर पर आशंका जताई कि यह हादसा जानबूझकर किया गया हो सकता है। जबकि AAIB के पूर्व चीफ ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) अरबिंदो हांडा ने कहा कि अक्सर प्रारंभिक रिपोर्ट और फाइनल रिपोर्ट में अंतर होता है, और जांचकर्ताओं को अभी और गहराई में जाना होगा।
हादसे के तकनीकी पहलुओं पर नज़र डालें तो विमान का टेकऑफ पूरी तरह सामान्य था। रनवे पर रवाना होने से लेकर टेकऑफ रोल शुरू करने तक कोई तकनीकी समस्या नहीं थी। दोनों पायलट भी मेडिकल फिट थे और उड़ान से पहले ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में उत्तीर्ण पाए गए। विमान में 54,200 किलो ईंधन था और कुल टेकऑफ वज़न निर्धारित सीमाओं के भीतर था। यानी टेकऑफ से पहले किसी गड़बड़ी की कोई आशंका ही नहीं थी।
लेकिन टेकऑफ के महज 30 सेकेंड के भीतर दोनों फ्यूल स्विच बंद हो गए और इंजन बंद हो गया। पायलटों ने प्रयास किया कि इंजन दोबारा शुरू हो जाए—N1 इंजन ने कुछ हद तक रेस्पॉन्ड किया भी, लेकिन विमान बहुत निचली ऊंचाई पर था। परिणामस्वरूप उसे लिफ्ट नहीं मिली और वह तेजी से नीचे गिरा। जांच में सामने आया कि दोनों थ्रस्ट लीवर टेकऑफ की स्थिति में थे, लेकिन इंजन तक फ्यूल पहुंच ही नहीं रहा था।
हादसे के बाद विमान पहले पेड़ों और फिर एक ऊंची चिमनी से टकराया, उसके बाद परिसर की इमारतों से टकराते हुए बिखरता चला गया। मुख्य पंख और लैंडिंग गियर टुकड़ों में सैकड़ों फीट दूर गिरे पाए गए। फ्लैप सेटिंग और गियर पोजिशन टेकऑफ के लिए पूरी तरह सामान्य थी। मौसम भी साफ था, बर्ड हिटिंग जैसी कोई समस्या नहीं थी। यानी यह कोई बाहरी कारण नहीं था, जिसने विमान को गिराया।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि फ्यूल स्विच ‘गार्डेड’ और स्प्रिंग-लोडेड होते हैं, जिन्हें गलती से बंद नहीं किया जा सकता। अमेरिकी एविएशन सेफ्टी एक्सपर्ट मेलिसा चेन ने भी यह तथ्य दोहराया और कहा कि यदि किसी पायलट ने स्विच को मूव किया है, तो यह ‘गलती’ नहीं मानी जा सकती। वहीं, ऑस्ट्रेलियाई एविएशन कंसल्टेंट नील हैंसफोर्ड ने कहा कि टेकऑफ के दौरान किसी पायलट का खुद फ्यूल सप्लाई बंद कर देना ‘अकल्पनीय’ है।
इस बीच, एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (APAI) ने आपत्ति जताई है कि प्रारंभिक रिपोर्ट को मीडिया में लीक किया गया, जिससे पायलटों की छवि पर गलत असर पड़ा है। APAI ने निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है और कहा है कि रिपोर्ट को बिना अधिकृत हस्ताक्षर और जांच टीम के पूर्ण निष्कर्ष के जारी करना गलत है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जैसे ही दोनों इंजन बंद हुए, विमान की रैम एयर टर्बाइन (RAT) ऑटोमैटिकली खुल गई। यह एक छोटा प्रोपेलर जैसा डिवाइस होता है, जो हवा की गति से घूमकर न्यूनतम बिजली और हाइड्रॉलिक पावर देता है, ताकि कॉकपिट के कंट्रोल सिस्टम किसी हद तक काम कर सकें। लेकिन इतने कम समय में ये प्रयास भी बेअसर साबित हुए।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या यह हादसा तकनीकी गड़बड़ी था, या किसी ने जानबूझकर ऐसा किया? प्रारंभिक रिपोर्ट से इतना जरूर स्पष्ट है कि यह कोई मामूली तकनीकी फेल्योर नहीं था। बोइंग और इंजन निर्माता GE ने जांच में सहयोग देने की बात कही है, लेकिन सवाल अभी अनुत्तरित हैं।