जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को सुभासपा विधायक और मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास अंसारी को बड़ी राहत दी। हाईकोर्ट के जस्टिस समीर जैन ने मऊ की MP/MLA कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें अब्बास को हेट स्पीच मामले में दो साल की सजा सुनाई गई थी। लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस आदेश के बाद अब्बास की विधानसभा सदस्यता बहाल हो जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2022 के विधानसभा चुनाव का है। अब्बास अंसारी सुभासपा के टिकट पर मऊ सदर सीट से चुनाव लड़ रहे थे। एक जनसभा में उन्होंने कहा था कि “मैं अखिलेश यादव से कहकर आया हूं, सरकार बनने के बाद छह महीने तक किसी की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं होगी। जो जहां है वहीं रहेगा। पहले हिसाब-किताब होगा, फिर ट्रांसफर होगा।”
उनकी इस टिप्पणी को आचार संहिता उल्लंघन और हेट स्पीच माना गया। चुनाव के दौरान शहर कोतवाली में FIR दर्ज की गई और 31 मई 2024 को मऊ की MP/MLA कोर्ट ने अब्बास को दो साल की सजा सुनाई।
24 घंटे में रद्द कर दी गई थी सदस्यता
सजा का आदेश जारी होने के 24 घंटे के भीतर ही केस फाइल मऊ से लखनऊ पहुंचाई गई। फिर 1 जून, रविवार को छुट्टी के दिन विधानसभा सचिवालय खोला गया और अब्बास अंसारी की सदस्यता समाप्त कर दी गई। सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया था, हालांकि उपचुनाव का ऐलान अभी तक नहीं हुआ था।
अब्बास के वकील उपेंद्र उपाध्याय ने 17 जुलाई को हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दाखिल की थी। उनका तर्क था कि भाषण के कंटेंट से किसी भी तरह का आपराधिक मामला नहीं बनता। जिन धाराओं में सजा दी गई, वे अनुचित थीं और यह मामला अधिकतम आचार संहिता उल्लंघन का हो सकता था।
पांच सुनवाई के बाद, 13 अगस्त को बहस पूरी हुई और हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। बुधवार को अदालत ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी और अब्बास को राहत मिल गई।
अब्बास अंसारी की पहली प्रतिक्रिया
हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब्बास अंसारी ने कहा, “संघर्ष ही जीवन है। यह न्याय की जीत है। अभी आदेश मौखिक आया है, शाम तक लिखित आदेश मिलेगा। उसके बाद आगे की प्रक्रिया देखी जाएगी।”
अपने भाई उमर अंसारी के जेल जाने पर उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा, “शासन-सत्ता है, जो चाहे करें। लेकिन न्यायालय और संविधान पर हमें पूरा भरोसा है।”
चुनाव की तैयारियों पर उन्होंने कहा, “लोकतंत्र है, सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है। जनता जिसे चाहे, उसे जिताएगी। आखिरकार फैसला अवाम के हाथ में होता है।”