जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
पंजाब की राजनीति में शुक्रवार की सुबह एक बड़ा भूचाल लेकर आई जब आम आदमी पार्टी (AAP) के जालंधर सेंट्रल से विधायक रमन अरोड़ा को विजिलेंस विभाग ने रिश्वत के एक गंभीर मामले में गिरफ्तार कर लिया। सुबह करीब 8:45 बजे विजिलेंस की टीम ने अरोड़ा के अशोक नगर स्थित घर पर रेड डाली। उस वक्त विधायक कहीं बाहर जा रहे थे, लेकिन विजिलेंस टीम ने उन्हें घर के पास एक मंदिर के मोड़ से हिरासत में ले लिया और फिर वापस घर ले जाकर घंटों तक पूछताछ की और तलाशी ली। जांच के दौरान पुख्ता सबूत मिलने पर विधायक को गिरफ्तार कर लिया गया।
सूत्रों के अनुसार रमन अरोड़ा के पर्सनल असिस्टेंट को भी हिरासत में लिया गया है, हालांकि विजिलेंस की ओर से अभी इस पर आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। साथ ही विधायक के समधी राजू मदान के घर पर भी टीम पहुंची थी, लेकिन वहां घर बंद मिला और टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा। बताया जा रहा है कि यह मामला ATP सुखदेव वशिष्ठ की गिरफ्तारी से जुड़ा हुआ है, जो कुछ दिनों पहले रिश्वत लेते पकड़ा गया था। पूछताछ में ATP ने खुलासा किया कि इस घोटाले में विधायक अरोड़ा की भूमिका भी संदिग्ध है। इसके बाद करीब एक महीने तक दस्तावेज और सबूत इकट्ठे कर विजिलेंस ने यह कार्रवाई की।
जानकारी के अनुसार, अरोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने जालंधर नगर निगम के माध्यम से लोगों को जानबूझकर नोटिस भिजवाए, और फिर उनसे मोटी रकम लेकर उन नोटिसों को रफा-दफा करवा दिया। इस मामले में FIR भी दर्ज की जा चुकी है। हैरानी की बात ये है कि महज 4 दिन पहले ही रमन अरोड़ा को पंजाब विधानसभा की पब्लिक अंडरटेकिंग कमेटी का सदस्य नियुक्त किया गया था। लेकिन अब उन्हीं पर भ्रष्टाचार का इतना बड़ा आरोप लग चुका है।
विधायक के वकील का कहना है कि उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया, और अब तक रेड के कारणों की भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही। जब उनसे पूछा गया कि मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर रेड की जानकारी साझा की है, तो वकील ने कहा कि “सरकार का मामला है, मैं कुछ नहीं कह सकता।”
इस पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो अरोड़ा की गिरफ्तारी कोई अचानक हुई कार्रवाई नहीं है। सरकार ने कुछ दिन पहले ही उनकी सिक्योरिटी वापस ले ली थी, जिसके बाद से ही चर्चाएं तेज थीं कि उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई हो सकती है। तब रमन अरोड़ा ने कहा था, “मुझे नहीं पता सुरक्षा क्यों हटाई गई, लेकिन मैं आम आदमी पार्टी का ईमानदार विधायक हूं। सरकार का फैसला मुझे मंजूर है।”
रमन अरोड़ा पहले भी विवादों में रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद, सितंबर में DCP नरेश डोगरा के साथ उनका विवाद सुर्खियों में आया था। उस समय आरोप लगा था कि अरोड़ा के समर्थकों ने एक निजी संस्थान में डीसीपी से मारपीट की थी, हालांकि बाद में मामला शांत हुआ।
AAP सरकार पर यह आरोप भी लग रहा है कि दिल्ली चुनावों में हार के बाद अब वह पंजाब में खुद को मजबूत दिखाने के लिए ‘एक्शन मोड’ में आ गई है। पंजाब अब पार्टी का एकमात्र गढ़ है, जहां 2027 के चुनाव से पहले AAP अपनी साख को फिर से मजबूत करने में लगी है। इसी क्रम में सरकार पहले ही तीन बड़े प्रशासनिक बदलाव और कार्रवाइयां कर चुकी है—जिनमें मुक्तसर के डिप्टी कमिश्नर को सस्पेंड करना, विजिलेंस प्रमुखों को बदलना और लापरवाही पर IPS अधिकारियों को हटाना शामिल है।
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब AAP के विधायकों पर कार्रवाई हुई हो। 24 मई 2022 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला को भी भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया गया था। 23 फरवरी 2023 को बठिंडा ग्रामीण से AAP विधायक अमित रतन को रिश्वत मामले में अरेस्ट किया गया था। अब रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी इस कड़ी की अगली कड़ी बन चुकी है।