नॉर्वे शतरंज टूर्नामेंट में एक चूक गुकेश को पड़ी भारी, मैग्नस कार्लसन से मिली शिकस्त; अब अगली भिड़ंत अर्जुन एरिगैसी से!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

नॉर्वे शतरंज टूर्नामेंट 2025 की शुरुआत भारतीय शतरंज प्रेमियों के लिए कुछ मिश्रित भावनाओं से भरी रही। मौजूदा वर्ल्ड चेस चैंपियन और भारत के युवा ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश को पहले राउंड में पांच बार के वर्ल्ड चैंपियन और वर्तमान वर्ल्ड नंबर-1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। हालांकि यह हार किसी भी दृष्टिकोण से एकतरफा नहीं रही। बल्कि चार घंटे से भी अधिक समय तक चला यह क्लासिकल मुकाबला दोनों खिलाड़ियों के जबरदस्त कौशल और मानसिक मजबूती का प्रमाण था।

18 वर्षीय गुकेश ने मुकाबले के ज्यादातर हिस्से में दबदबा बनाए रखा और कार्लसन को लगातार सोचने पर मजबूर किया। लेकिन खेल के अंतिम पड़ाव में की गई एक चूक ने पूरा खेल पलट दिया। इसी एक गलती का फायदा उठाते हुए कार्लसन ने 55 चालों में यह मैच जीत लिया और पूरे 3 अंक अपने नाम कर लिए। इस जीत के साथ कार्लसन अब टूर्नामेंट में हिकारू नाकामुरा के साथ संयुक्त बढ़त पर हैं। नाकामुरा ने अपने पहले मुकाबले में हमवतन फैबियानो कारूआना को मात दी।

वहीं, गुकेश को अब टूर्नामेंट के दूसरे राउंड में एक और भारतीय ग्रैंडमास्टर अर्जुन एरिगैसी से भिड़ना है। अर्जुन ने पहले राउंड में चीन के टॉप प्लेयर वेई यी को हराकर शानदार शुरुआत की है। दूसरी ओर, कार्लसन और नाकामुरा की अगली भिड़ंत भी दर्शकों के लिए बेहद रोमांचक होने वाली है, क्योंकि ये दोनों वर्तमान समय के सबसे चर्चित और ताकतवर खिलाड़ियों में शामिल हैं।

कौन हैं डी. गुकेश?

पूरे नाम डोम्माराजू गुकेश वाले यह युवा खिलाड़ी तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से ताल्लुक रखते हैं। 7 मई 2006 को जन्मे गुकेश ने महज 7 साल की उम्र में शतरंज की बिसात पर कदम रखा और तभी से इस खेल में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी। उनके पहले कोच भास्कर नागैया थे, जो स्वयं एक इंटरनेशनल शतरंज खिलाड़ी रहे हैं और चेन्नई में बच्चों को शतरंज की ट्यूशन देते हैं। इसके बाद भारत के दिग्गज ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद की छत्रछाया में गुकेश ने अपना खेल और भी निखारा।

गुकेश के पिता एक डॉक्टर हैं और उनकी मां माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। एक साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, वह प्रेरणादायक है। गुकेश ने दिसंबर 2024 में खेले गए वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप के फाइनल में चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से हराकर न केवल खिताब जीता, बल्कि इतिहास भी रच दिया। वह 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियन बनने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने। इससे पहले यह रिकॉर्ड 22 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले गैरी कास्पारोव के नाम था।

भारत को चेस ओलंपियाड जिताने वाला हीरो

गुकेश की उपलब्धियाँ यहीं खत्म नहीं होतीं। 2024 में बुडापेस्ट (हंगरी) में आयोजित हुए चेस ओलिंपियाड में भी उन्होंने भारत को ओपन कैटेगरी में गोल्ड मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। फाइनल गेम में उन्होंने निर्णायक जीत दर्ज कर देश को गौरवान्वित किया था।

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