जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
आज के समय में महिलाओं को शारीरिक और मानसिक स्तर पर कई जटिल स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है – जैसे पीसीओएस (PCOS), अनियमित माहवारी, हार्मोनल असंतुलन, बांझपन, रजोनिवृत्ति के दौरान तनाव और थकान। ऐसे में एक पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधि ‘शतावरी’ (Asparagus racemosus) एक वरदान के रूप में उभर कर सामने आई है, जिसे सदियों से महिलाओं की ‘रानी औषधि’ कहा गया है। संस्कृत में शतावरी का अर्थ होता है – “सौ पतियों वाली”, जो इसकी प्रजनन क्षमता बढ़ाने की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
शतावरी एक झाड़ीदार पौधा है, जिसकी सबसे उपयोगी और औषधीय मानी जाने वाली जड़ को सुखाकर इसका काढ़ा, पाउडर या टैबलेट के रूप में सेवन किया जाता है। सुश्रुत संहिता और चरक संहिता जैसे आयुर्वेदिक ग्रंथों में शतावरी का उल्लेख रसायन (Rejuvenator) के रूप में किया गया है। यह न केवल गर्भाशय को पोषण देती है बल्कि स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध की मात्रा बढ़ाने में भी सहायक होती है।
हार्मोनल संतुलन में देती है राहत
शतावरी में प्राकृतिक एडाप्टोजेनिक गुण होते हैं, जो शरीर के हार्मोन स्तर को संतुलित करने में मदद करते हैं। खासकर रजोनिवृत्ति (Menopause) के समय होने वाले हार्मोनल असंतुलन, चिड़चिड़ापन, अनिंद्रा और थकान जैसे लक्षणों में यह दवा की तरह काम करती है। PCOS जैसी समस्याओं में शतावरी की जड़ें ओवरी फंक्शन को संतुलित करने में सहायक होती हैं, जिससे ओवुलेशन बेहतर होता है और गर्भधारण की संभावना बढ़ती है।
मासिक धर्म की अनियमितता और दर्द में फायदेमंद
शतावरी महिलाओं में अनियमित माहवारी, अधिक रक्तस्राव, माहवारी के दौरान दर्द, पेट में ऐंठन और तनाव जैसी समस्याओं को कम करने में भी लाभकारी मानी गई है। इसका सेवन नियमित रूप से करने से पीरियड्स चक्र सामान्य हो सकता है और हार्मोनल फ्लक्चुएशंस से राहत मिलती है।
शतावरी में मौजूद पोषक तत्व
शतावरी की जड़ों में प्राकृतिक रूप से कई तरह के विटामिन और खनिज तत्व पाए जाते हैं, जैसे – फाइबर, प्रोटीन, विटामिन K, विटामिन E, विटामिन C, आयरन, कैल्शियम, सेलेनियम, मैग्नीज और ज़िंक। ये पोषक तत्व महिलाओं के शरीर को ऊर्जा देते हैं, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं।
तनाव, अनिद्रा और पाचन समस्याओं का समाधान
आज की तेज़ रफ्तार और तनावपूर्ण जीवनशैली में शतावरी का एक और बड़ा लाभ इसकी मानसिक संतुलन प्रदान करने की क्षमता है। इसका सेवन करने से तनाव में कमी आती है, नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है और मस्तिष्क को शांति मिलती है। इसके अलावा शतावरी पाचन शक्ति को बढ़ाती है, जिससे कब्ज, गैस, जलन और अपच जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।
अन्य रोगों में भी फायदेमंद
शतावरी का उपयोग पारंपरिक रूप से सर्दी-जुकाम, बवासीर, बुखार और अल्सर जैसी बीमारियों में भी किया जाता रहा है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को भीतर से मजबूत बनाते हैं और रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाते हैं।
कैसे करें सेवन?
शतावरी का सेवन कई रूपों में किया जा सकता है – जैसे चूर्ण, टैबलेट, काढ़ा या फिर आयुर्वेदिक सिरप के रूप में। शतावरी चूर्ण को गर्म दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है। लेकिन किसी भी प्रकार के सेवन से पहले आयुर्वेदाचार्य या चिकित्सक से सलाह ज़रूरी है, क्योंकि शरीर की प्रकृति और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार इसकी मात्रा और विधि तय होती है।