जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया :
आज दलित-आदिवासी संगठनों ने 14 घंटे का भारत बंद बुलाया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने 1 अगस्त को यह फैसला सुनाया कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के भीतर राज्य सब कैटेगरी बना सकते हैं। इस फैसले के बाद National Confederation of Dalit and Adivasi Organisations ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया है और कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दलित संगठन आज सड़कों पर उतरे हैं। संगठन का कहना है कि यह फैसला आरक्षण के मौजूदा ढांचे को कमजोर करता है। यह वंचित वर्गों को और पीछे धकेलने की कोशिश है।
इन शहरों में है बंद का सबसे ज्यादा असर :
बता दें, की बंद का सबसे ज्यादा असर बिहार में दिख रहा है। वही, मध्यप्रदेश में भी भारत बंद का असर दिख रहा है जिसको लेकर पूरे प्रदेश की पुलिस अर्लट पर है.
ग्वालियर में कई स्कूलों ने बुधवार को छुट्टी घोषित की है। ग्वालियर कलेक्टर ने मंगलवार रात से ही जिले में धारा 144 के आदेश लागू कर दिए थे। पुलिस भी मोर्चा संभाले हुए है। वहीं, पांढुर्णा में बाजार पूरी तरह बंद हैं। सतना-भिंड में बंद समर्थकों ने रैली निकाली।
तो वहीं दूसरी ओर भोपाल, इंदौर और उज्जैन सहित कई जिलों में स्कूल खुले हैं लेकिन सभी जगह पुलिस अलर्ट पर है. उज्जैन में टावर चौक में बाजार बंद कराने पहुंचे संगठनों के सदस्यों और एक दुकानदार के बीच झूमा-झटकी हो गई। दरअसल, प्रदर्शनकारियों ने दुकान बंद करने की बात कही तो दुकानदार ने इनकार कर दिया। इस पर बंद समर्थक दुकान का काउंटर धकेलने लगे। दुकानदार ने आपत्ति जताई। दोनों के बीच बहस होने लगी। लोगों ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया।
ये था सुप्रीम कोर्ट का फैसला :
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, ”सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए – सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ ही राज्यों को जरूरी हिदायत भी दी। कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं। इसमें भी दो शर्त लागू होंगी।
ये है दलित और आदिवासी संगठनों की मांग :
दलित और आदिवासी संगठनों की मांग है कि SC-ST और OBC के लिए आरक्षण पर नया कानून पारित किया जाए और सुप्रीम कोर्ट हाल ही के अपने कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले या पुनर्विचार करे. आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि यह फैसला अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है.
भारत बंद को इन पार्टिओं का मिल रहा समर्थन :
देशभर के दलित संगठनों के भारत बंद एलान को बहुजन समाजवादी पार्टी सुप्रीमो, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भारत आदिवासी पार्टी मोहन लात रोत का भी समर्थन मिल रहा है। साथ ही कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों के नेता भी समर्थन में हैं।