नई दिल्ली। भारत के ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने 17 साल की उम्र में कैंडीडेट्स शतरंज टूर्नामेंट का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। डी गुकेश विश्व खिताब जीतने वाले सबसे युवा चैलेंजर बने। गुकेश ने गैरी कास्पारोव द्वारा 40 साल पहले बनाए रिकॉर्ड को बेहतर किया। गुकेश ने 14वें और अंतिम राउंड में अमेरिका के हिकारू नाकामूरा के खिलाफ आसानी से जीत दर्ज की। भारतीय ग्रैंडमास्टर ने टूर्नामेंट में संभावित 14 में से 9 अंक के साथ अभियान का समापन किया। इस वजह से वर्ल्ड चैंपियन के चैलेंजर का फैसला किया गया। इस जीत से डी गुकेश का साल के आखिरी क्वार्टर में मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन चीन के डींग लाइरेन से मुकाबला तय हो गया है। चेन्नई के डी गुकेश ने कास्पारोव का रिकॉर्ड बड़े अंतर से बेहतर किया। रूसी दिग्गज तब 22 साल के थे जब उन्होंने 1984 में क्वालीफाई किया और हमवतन एनेटोली कारपोव से मुकाबला तय किया था।
गुकेश ने जीत के बाद क्या कहा बहुत राहत महसूस कर रहा हूं और बहुत खुश हूं। मैं यह मजेदार खेल (फाबियो कारूआना और इयान नेपोमनियातची) को फॉलो कर रहा था और फिर मैं अपने दूसरे (ग्रेगोर्ज गेजवीस्की) के साथ टहलने गया। मेरे ख्याल से इससे मदद मिली। डी गुकेश को 88,500 यूरो की नकद राशि (करीब 78.5 लाख रुपये) इनाम में मिली। कैंडीडेट्स की कुल इनामी राशि 5 लाख यूरो है। बता दें कि डी गुकेश भारत के दूसरे ग्रैंडमास्टर हैं, जिन्होंने यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीता है। इससे पहले भारत के महान विश्वनाथन आनंद ने खिताब जीता था। पांच बार के वर्ल्ड चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने 2014 में खिताब जीता था। विश्वनाथन आनंद ने युवा ग्रैंडमास्टर को अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिये शुभकामनाएं दी। आनंद ने पोस्ट किया, ”डी गुकेश को सबसे युवा चैलेंजर बनने पर शुभकामनाएं। आपने जो किया उस पर वाका शतरंज परिवार को गर्व है। मुझे निजी तौर पर बहुत गर्व है कि आपने किस तरह खेला और मुश्किल स्थिति को संभाला। इस पल का आनंद उठाएं।”
गुकेश को केवल ड्रॉ की जरुरत थी, लेकिन उन्होंने नाकामूरा को कोई मौका देना सही नहीं समझा। गुकेश ने स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि वो वो बड़े मंच के लिए तैयार हैं और शतरंज की दुनिया में अगले बड़े स्टार बनने की राह पर हैं। काले मोहरे ज्यादा परेशानी नहीं दे पाए क्योंकि नाकामूरा ने क्वींस गैमबिट में सी पर स्वीकार किया और फायदे के लिए कोई तरीका नहीं खोज सके। गुकेश ने एक प्यादा जीता और नाकामूरा को हाथी बराबर में लाने व विरोधी ऊंट के खेल को खत्म करने के लिए राह खोजना पड़ी। यह मुकाबला 71 बाजी तक चला, लेकिन नतीजे पर कभी संदेह नहीं था। गुकेश ने 9 अंक के साथ समापन किया। गुकेश की जीत के बाद सभी की नजरें कारूआना और नेपोमनियाचती के मुकाबले पर लग गई थीं।
यह दोनों 8.5 के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहे। अगर इस मुकाबले में कोई विजेता बनता तो उसका डी गुकेश के साथ टाई-ब्रेकर मैच होता, जिसकी जरुरत नहीं पड़ी। भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रगनानंद के सात अंक रहे और वो पांचवें स्थान पर रहे। विदित गुजराती ने फ्रांस के फिरौजा अलीरेजा के साथ जल्द ड्रॉ खेला और 6 अंकों के साथ छठे स्थान पर रहे। पता हो कि डी गुकेश पिछले कुछ सालों से चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। उन्होंने महज 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल किया था और ये कमाल करने वाले वो शतरंज इतिहास के तीसरे युवा खिलाड़ी बने थे। पिछले साल एशियाई खेलों में डी गुकेश ने सिल्वर मेडल जीता था। बहरहाल, विश्व चैंपियनशिप के लिए कार्यक्रम का तय होना बाकी है।