अब प्रदेश से बाहर नहीं जाना होगा इंजीनियरों को ट्रेनिंग के लिए, MP में ही बनेगा आधुनिक रिसर्च सेंटर; इंजीनियर डे पर सीएम मोहन यादव ने दी सौगात!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंजीनियर डे के अवसर पर प्रदेश के अभियंताओं को बड़ी सौगात देने का ऐलान किया। उन्होंने घोषणा की कि राज्य में इंजीनियरिंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की जाएगी, जहाँ इंजीनियरों को आधुनिक तकनीकों के अनुरूप प्रशिक्षित कर दक्ष बनाया जाएगा। सीएम ने कहा कि अब प्रदेश के अभियंताओं को ट्रेनिंग के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि ऐसा संस्थान बनाया जाएगा कि देशभर से इंजीनियर मध्यप्रदेश आकर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।

अभियंताओं को बताया सृजनकर्ता

कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने अभियंताओं की भूमिका को सराहा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक शोध करते हैं, लेकिन उसे जनता की सुगमता तक पहुँचाने का कार्य अभियंता करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कोरोना काल में ‘नमस्कार’ को पूरी दुनिया ने अपनाया, और यही भारतीय जीवन पद्धति अभियंताओं की सोच से आधुनिक ढाँचों में उतरती है। उन्होंने नई संसद भवन की डिजाइन का उल्लेख करते हुए बताया कि यह भी मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी है।

“हमारे काम को देश अपना रहा है”

मुख्यमंत्री ने गर्व जताया कि आज देश की कई सरकारें मध्यप्रदेश की विकास कार्यों की कार्यप्रणाली को अपना रही हैं। उन्होंने कहा कि जो समय पर निर्माण करते हैं, उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। पुरानी मान्यताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि पहले ताजमहल जैसे निर्माण के बाद कारीगरों के हाथ काट दिए जाते थे, लेकिन आज समय बदल गया है। अब हर बड़ा प्रोजेक्ट इंजीनियरों की लगन और कौशल पर आधारित है।

इंजीनियरिंग को नई तकनीक से जोड़ेगा संस्थान

कार्यक्रम में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि राज्य सरकार इंजीनियरों को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने के लिए गंभीर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इंजीनियरिंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट न केवल प्रदेश के अभियंताओं को प्रशिक्षित करेगा, बल्कि पूरे देश के इंजीनियर यहाँ ट्रेनिंग के लिए आएंगे। साथ ही, लोक निर्माण प्रबंधन प्रणाली (Management System) का शुभारंभ किया गया, जो प्रोजेक्ट की योजना से लेकर भुगतान तक की प्रक्रिया को आसान बनाएगी और कागजी कार्यवाही से मुक्ति दिलाएगी।

मंत्री ने कहा कि ‘लोक ट्रेनिंग मोबाइल एप’ भी शुरू किया जा रहा है, जिससे इंजीनियर जीआईएस मैपिंग आसानी से कर सकेंगे। इसके माध्यम से विभागीय डेटा को अधिक सटीक बनाया जाएगा और मासिक न्यूजलेटर के जरिए समय पर पूरे हुए काम और नवाचारों को प्रकाशित किया जाएगा।

टेक्नोलॉजी से होगी पारदर्शिता

मंत्री ने कहा कि विभाग पीएम गति शक्ति योजना के तहत पुलों की डिजाइन और व्यवहारिकता का आकलन करेगा। विभाग की सभी संपत्तियों को इस पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट के सहयोग से दो ऐप नि:शुल्क तैयार हो रहे हैं। इनसे लंबी अवधि के प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग आसान होगी और बजट की प्लानिंग वैज्ञानिक तरीके से हो सकेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि इन तकनीकी प्रयासों से विभाग पर उठने वाली उँगलियाँ कम होंगी।

अभियंताओं और ठेकेदारों का सम्मान

कार्यक्रम में प्रदेश के सात अभियंताओं और चार ठेकेदारों को सम्मानित किया गया।

  • विश्वेश्वरैया पुरस्कार: सुनील कौरव (PWD बुधनी), प्रीति यादव और प्रमेश कोरी (जबलपुर), संजीव कालरा (रीवा), भुवना जोशी (शिवपुरी), राजीव श्रीवास्तव (ग्वालियर), दीपक शर्मा (उज्जैन), विक्रम सोनी (बिल्डिंग)।

  • विश्वकर्मा पुरस्कार: एनसीसी लिमिटेड (हैदराबाद), नाविक कंस्ट्रक्शन (भोपाल), आरके जैन इन्फ्रास्ट्रक्चर (ग्वालियर), हरगोविंद गुप्ता (छतरपुर)।

  • रानी दुर्गावती पर्यावरण पुरस्कार: दीपक पांडे (भोपाल)।

लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि “दंड सुधार के लिए होता है, लेकिन अच्छे काम के लिए सम्मान भी जरूरी है।”

“आप निर्माण नहीं, लोगों की भावनाएँ जोड़ते हैं”

कार्यक्रम में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह ने अभियंताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अभियंता केवल निर्माण ही नहीं करते, बल्कि सड़कों और पुलों के जरिए गाँव-गाँव की भावनाओं को जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर रेलवे, पोर्ट और डिजिटल सेक्टर में अभूतपूर्व रूप से मजबूत हुआ है।

प्रशांत पाल ने अपने संबोधन में कहा कि कंबोडिया का राष्ट्रीय ध्वज, जिस पर मंदिर अंकित है, भी अभियंताओं की देन है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव नए मध्यप्रदेश की परिकल्पना कर रहे हैं और अभियंता उसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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