जनवरी 1960। भारत को आजाद हुए 13 साल से ज्यादा हो गए थे। भारत विभाजन से अस्तित्व में आने वाला मुल्क पाकिस्तान हर मामले में प्रतिस्पर्धा की कोशिश में लगा था। विज्ञान, टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में भारत आगे निकल रहा था; लेकिन खेल, खासकर क्रिकेट और हॉकी में पाकिस्तान की टीम बेहतर रिजल्ट हासिल करने लगी थी।
पाकिस्तान ने आजादी के बाद से 1960 की शुरुआत तक 29 टेस्ट मैच खेले और इसमें से 8 में जीत हासिल कर ली। 9 में उसे हार मिली थी। दूसरी ओर भारतीय टीम ने इसी टाइम पीरियड में 54 टेस्ट मैच खेले और सिर्फ 6 में जीत हासिल कर पाई। 22 में हार झेलनी पड़ी।
इस कमजोर प्रदर्शन से परेशान BCCI ने अपने मेंबर्स की मीटिंग बुलाकर इसका कारण समझने की कोशिश की। ज्यादातर सदस्यों की राय थी कि रणजी ट्रॉफी से टेस्ट क्रिकेट के लायक टैलेंट नहीं मिल रहे हैं। रणजी ट्रॉफी 1934 से हो रही थी, लेकिन इसके कई मुकाबले एकतरफा होते थे। एक तरफ मजबूत टीम होती थी और दूसरी तरफ अक्सर कोई कमजोर टीम।
फैसला किया गया कि देश में नया डोमेस्टिक टूर्नामेंट शुरू किया जाएगा। इसमें खेलने वाली सभी टीमें टक्कर की होगी और कड़े मुकाबलों से बेहतरीन क्रिकेटर सामने आएंगे। तय हुआ कि इसमें राज्यों की टीमें आपस में नहीं भिड़ेंगी। मुकाबला जोनल बेसिस पर होगा। देश के नॉर्थ जोन में जितने राज्य आते हैं उनको मिलाकर एक टीम। इसी तरह साउथ, ईस्ट, वेस्ट और सेंट्रल जोन की टीमें बनाई गईं। इनके बीच 1961 में पहला टूर्नामेंट खेला गया। इसे नाम दिया गया दलीप ट्रॉफी।
जिस तरह रणजी ट्रॉफी का नाम इंग्लैंड के लिए टेस्ट खेल चुके नवानगर के जाम साबिह रणजीत सिंह जी उर्फ रणजी के नाम पर रखा गया था। उसी तरह नए जोनल टूर्नामेंट का नाम रणजी के भतीजे और इंग्लैंड के लिए खेल चुके दलीप सिंह जी के नाम पर रखा गया।