MP कांग्रेस में घमासान: जिला अध्यक्षों की सूची पर राहुल गांधी भड़के, बोले- सबसे ज्यादा शिकायतें यहीं से…

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश कांग्रेस में हाल ही में घोषित जिला अध्यक्षों की सूची को लेकर विवाद और नाराजगी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस मसले पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी गंभीर आपत्ति जताई है। राहुल गांधी ने साफ कहा कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर सबसे ज्यादा शिकायतें मध्यप्रदेश से मिली हैं, और भविष्य में अन्य राज्यों में ऐसी गलतियां दोहराई नहीं जानी चाहिए।

राहुल गांधी ने संगठन की बैठक में जताई चिंता

राहुल गांधी सोमवार को दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में ‘संगठन सृजन अभियान’ की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक में झारखंड, ओडिशा, पंजाब और उत्तराखंड के लिए नियुक्त पर्यवेक्षक मौजूद थे। राहुल ने कहा कि संगठनात्मक नियुक्तियों में पारदर्शिता और स्थानीय कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने मध्यप्रदेश के उदाहरण का जिक्र करते हुए चेतावनी दी कि बाकी राज्यों में ऐसी कमियों से बचना होगा।

जीतू पटवारी का जवाब – “सुधार की प्रक्रिया”

मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राहुल गांधी की नाराजगी को स्वीकार करते हुए कहा कि “राहुल जी ने बिल्कुल सही कहा है। जब भी कोई नया सिस्टम लागू होता है तो शुरुआती दौर में कुछ शिकायतें और खामियां सामने आती हैं। इन्हें सुधार की दृष्टि से देखना चाहिए।”

पटवारी ने आगे कहा कि कांग्रेस एक परिवार की तरह है और हर कार्यकर्ता की भावना का सम्मान करना पार्टी की जिम्मेदारी है। उन्होंने दावा किया कि संगठन ने छह महीने की समीक्षा प्रणाली लागू की है, जिसके तहत हर जिला अध्यक्ष और पदाधिकारी के कामकाज का मूल्यांकन होगा। अगर कोई अपेक्षानुसार काम नहीं करता है, तो बदलाव स्वाभाविक है।

सबसे ज्यादा विरोध मध्यप्रदेश से

कांग्रेस संगठन सृजन अभियान की शुरुआत गुजरात से हुई थी। इसके बाद हरियाणा और फिर मध्यप्रदेश में जिला अध्यक्षों की सूची जारी की गई। लेकिन सबसे अधिक विरोध और नाराजगी मध्यप्रदेश से ही सामने आई। कई जिलों में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने खुलकर प्रदर्शन किया, यहां तक कि मामला भोपाल से दिल्ली तक पहुंच गया।

दूसरे जिलों से अध्यक्ष बनाने पर विवाद

विवाद की सबसे बड़ी वजह यह रही कि कई जिलों में बाहरी नेताओं को जिला अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। इंदौर ग्रामीण में आगर के पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े को अध्यक्ष बनाए जाने पर तीखा विरोध हुआ। देपालपुर से लेकर दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय तक कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। वहीं, खंडवा सिटी की जिला अध्यक्ष प्रतिभा रघुवंशी को लेकर भी विरोध देखने को मिला क्योंकि वे मूल रूप से गुना जिले की रहने वाली हैं।

किन-किन जिलों में हुआ विरोध

  • भोपाल: प्रवीण सक्सेना को दोबारा जिला अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध हुआ। पूर्व शहर अध्यक्ष प्रदीप सक्सेना मोनू ने इस नियुक्ति पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पद के एवज में महंगी कार गिफ्ट की गई। मोनू ने राहुल गांधी को खून से पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई।

  • इंदौर ग्रामीण: विपिन वानखेड़े की नियुक्ति पर कार्यकर्ताओं ने दिल्ली तक प्रदर्शन किया। कार्यशाला के दौरान करीब 50 कांग्रेसियों ने मुख्यालय के बाहर नारेबाजी की।

  • डिंडोरी: ओंकार सिंह मरकाम की नियुक्ति के खिलाफ स्थानीय नेताओं ने पुतला दहन की चेतावनी दी। विरोधियों का आरोप था कि यह आदिवासी नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश है।

  • सतना: शहर और ग्रामीण जिलों के अध्यक्ष बनाए जाने पर भी कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए। उनका कहना है कि विधायक और ओबीसी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाह को एक साथ कई पद मिलना “एक व्यक्ति, एक पद” के सिद्धांत के खिलाफ है।

  • बुरहानपुर: यहां जिला प्रवक्ता और राजीव गांधी पंचायती सेल के अध्यक्ष हेमंत पाटिल ने विरोध स्वरूप इस्तीफा दे दिया।

  • देवास (ग्रामीण): जीतू पटवारी के करीबी गौतम बंटू गुर्जर ने नाराजगी में सभी पदों से इस्तीफा दिया।

आगे की राह

कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि छह महीने बाद जिला अध्यक्षों सहित सभी पदाधिकारियों के कामकाज की समीक्षा होगी। इससे संगठन को सुधार का मौका मिलेगा और कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी कम होगी। हालांकि, फिलहाल यह विवाद मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है, खासकर तब जब अगले साल होने वाले विधानसभा उपचुनावों और भविष्य की तैयारियों में पार्टी को संगठन को मजबूत करने की जरूरत है।

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