जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में अगले मुख्य सचिव (Chief Secretary) को लेकर सस्पेंस बरकरार है। मौजूदा सीएस अनुराग जैन 31 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं, लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने उनके सेवा विस्तार (Extension) का प्रस्ताव केंद्र सरकार को नहीं भेजा है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला अगस्त के आखिरी सप्ताह में होगा कि जैन को एक्सटेंशन मिलेगा या नहीं।
अगर उन्हें एक्सटेंशन मिलता है तो यह उनकी तीसरी बड़ी नियुक्ति होगी, जबकि एक्सटेंशन नहीं मिला तो प्रदेश की नौकरशाही में नंबर-1 कुर्सी के लिए कई वरिष्ठ अफसर रेस में हैं।
पहली संभावना: अनुराग जैन को मिलेगा एक्सटेंशन
केंद्र और राज्य, दोनों स्तरों पर यह माना जा रहा है कि अनुराग जैन को एक्सटेंशन देने में किसी तरह की अड़चन नहीं है। इसके पीछे तीन प्रमुख वजहें गिनाई जा रही हैं –
1. केंद्र में मजबूत पकड़
अनुराग जैन दिल्ली में लंबे समय तक प्रतिनियुक्ति पर रहे और पीएमओ में भी काम कर चुके हैं। भारत माला प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने का क्रेडिट भी उन्हें ही दिया जाता है। यही वजह है कि केंद्र सरकार की पसंद अक्सर उनके पक्ष में रही है।
2. वित्त प्रबंधन के जानकार
जैन को वित्तीय मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है। राज्य में उन्होंने शून्य बजट सिस्टम लागू किया है, जिससे विभागों को जरूरत के हिसाब से ही बजट आवंटित हो रहा है। इससे खर्च पर नियंत्रण और पारदर्शिता बढ़ी है।
3. इन्वेस्टर्स समिट और नई नीतियां
मुख्य सचिव रहते हुए उन्होंने 18 नई इंडस्ट्रियल और इन्वेस्टमेंट नीतियां बनवाईं, जिन्हें ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में लागू किया गया। यही नहीं, प्रदेश में पब्लिक सर्विस डिलीवरी एक्ट लागू करने में भी उनकी अहम भूमिका रही है।
दूसरी संभावना: एक्सटेंशन नहीं मिला तो कौन होगा नया सीएस?
अगर अनुराग जैन को सेवा विस्तार नहीं मिलता है तो सीनियरिटी और अनुभव के आधार पर तीन नाम सबसे आगे माने जा रहे हैं।
डॉ. राजेश राजौरा
(1989 बैच, ACS जल संसाधन)
वे जैन के बाद सबसे वरिष्ठ अफसर होंगे। मुख्यमंत्री के एसीएस रह चुके हैं और उज्जैन संभाग (सीएम का गृहक्षेत्र) के प्रभारी भी रहे हैं। पिछली बार वीरा राणा के रिटायर होने पर भी उनकी दावेदारी मजबूत थी, लेकिन अचानक जैन को सीएस बना दिया गया।
अशोक बर्णवाल
(1991 बैच, ACS वन व पर्यावरण)
तेजतर्रार और निर्विवादित छवि वाले बर्णवाल को भी सीएस रेस में माना जा रहा है। शिवराज सरकार में वे लंबे समय तक सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) का काम देख चुके हैं। पर्यावरण विभाग को विवादों से निकालकर पटरी पर लाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।
अलका उपाध्याय
(1990 बैच, सचिव – पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, केंद्र सरकार)
वे इस पद की महिला दावेदार मानी जा रही हैं। हाल के दिनों में उन्होंने लगातार मध्यप्रदेश का दौरा किया है और प्रशासनिक गतिविधियों में रुचि दिखाई है। उनका रिटायरमेंट मई 2026 में है, यानी अगर वे मुख्य सचिव बनती हैं तो करीब 9 महीने का कार्यकाल होगा।
अगर जैन को एक्सटेंशन नहीं मिला तो आगे क्या?
सूत्रों का कहना है कि ऐसी स्थिति में अनुराग जैन को विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) का चेयरमैन बनाया जा सकता है। फिलहाल यह पद खाली है और चयन प्रक्रिया भी दोबारा शुरू की जा रही है।
एक्सटेंशन की परंपरा और ताजा उदाहरण
वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह के मुताबिक, पिछले कुछ सालों से मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव को एक्सटेंशन देने की परंपरा रही है। इससे ब्यूरोक्रेसी में अंदरूनी हलचल तो होती है, लेकिन प्रशासनिक कामकाज पर खास असर नहीं पड़ता।
दूसरे राज्यों की बात करें तो –
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छत्तीसगढ़: सीएस अमिताभ जैन को 3 महीने का एक्सटेंशन मिला।
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यूपी: सीएम योगी आदित्यनाथ ने मनोज कुमार सिंह को 1 साल एक्सटेंशन देने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे केंद्र ने खारिज कर दिया।
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हिमाचल: प्रबोध सक्सेना को 6 महीने का सेवा विस्तार दिया गया।
मप्र में भी अतीत में आर. परशुराम, बी.पी. सिंह, इकबाल सिंह बैंस और वीरा राणा जैसे मुख्य सचिवों को एक्सटेंशन मिल चुका है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अनुराग जैन को एक्सटेंशन मिलेगा या प्रदेश को नया मुख्य सचिव मिलेगा। निर्णय चाहे जो हो, अगस्त के अंतिम सप्ताह तक तस्वीर साफ हो जाएगी और मप्र प्रशासनिक ढांचे की सबसे अहम कुर्सी पर नया नाम सामने आ जाएगा।